45,000+ students realised their study abroad dream with us. Take the first step today
Here’s your new year gift, one app for all your, study abroad needs, start your journey, track your progress, grow with the community and so much more.
Verification Code
An OTP has been sent to your registered mobile no. Please verify
Thanks for your comment !
Our team will review it before it's shown to our readers.
- Trending Events /
स्टूडेंट्स के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध
- Updated on
- जून 22, 2024
विश्व जनसंख्या दिवस हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को जनसंख्या वृद्धि और इसके साथ आने वाली समस्याओं के बारे में जागरूक करना है। इस दिन का आयोजन उन सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान दिलाने के लिए किया जाता है जो जनसंख्या वृद्धि के साथ जुड़े हैं, जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, और गरीबी की समस्याएं। इस दिन के अवसर पर विशेष योजनाएँ और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं साथ ही स्कूल के एग्जाम या फिर अन्य परीक्षाओं में विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध लिखने को लेकर प्रश्न भी आते हैं, इसलिए आज के इस ब्लाॅग में छात्रों के लिए विश्व जनसंख्या दिवस पर 100, 200 और 500 शब्दों में निबंध दिया जा रहा है।
This Blog Includes:
विश्व जनसंख्या दिवस के बारे में, विश्व जनसंख्या दिवस पर 100 शब्दों में निबंध, विश्व जनसंख्या दिवस पर 200 शब्दों में निबंध, विश्व जनसंख्या दिवस क्या है, विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत कबसे हुई, विश्व जनसंख्या दिवस का महत्व, विश्व जनसंख्या दिवस 2024 थीम, विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध कैसे तैयार करें .
विश्व जनसंख्या दिवस हर साल 11 जुलाई को मनाया जाने वाला कार्यक्रम है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य जनसंख्या सम्बंधित समस्याओं पर वैश्विक चेतना के बारे में जागरूकता फैलाना है। यह आयोजन 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल द्वारा स्थापित किया गया था। विश्व जनसंख्या दिवस का उद्देश्य विभिन्न जनसंख्या मुद्दों पर लोगों की जागरूकता बढ़ाना है जैसे कि परिवार नियोजन, लिंग समानता, गरीबी, मातृ स्वास्थ्य और मानव अधिकारों का महत्व।
यह भी पढ़ें : विश्व जनसंख्या दिवस 2024
100 शब्दों में विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध कुछ इस प्रकार से है:
विश्व जनसंख्या दिवस, वैश्विक जनसंख्या और उनके प्रभावों पर ध्यान आकर्षित करता है। यह दिन सतत विकास (sustainable development) को बढ़ावा देने और जनसंख्या वृद्धि से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। यह मानवता के लिए समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए सहयोग और कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाता है।
बढ़ती जनसंख्या के मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए विश्व जनसंख्या दिवस पर कई गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। विश्व जनसंख्या दिवस समारोह के एक भाग के रूप में बड़े और छोटे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लोगों को इकट्ठा करने का प्रयास किया जाता है ताकि वे इन आयोजनों का अधिकतम लाभ उठा सकें। लोगों को जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता को समझने में मदद करने के लिए भाषण दिए जाते हैं।
यह भी पढ़ें : विश्व जनसंख्या दिवस क्यों मनाया जाता है?
200 शब्दों में विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध कुछ इस प्रकार से है:
विश्व जनसंख्या दिवस, जनसंख्या वृद्धि से संबंधित विभिन्न समस्याओं को उजागर करने का एक तरीका है। यह जनता को इस बारे में शिक्षित करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है कि वैश्विक जनसंख्या दिन-ब-दिन कैसे बढ़ रही है। इस दिन आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों के माध्यम से तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण होने वाली विभिन्न समस्याओं पर प्रकाश डाला जाता है। इनमें से कुछ में बेरोजगारी, गरीबी, प्रदूषण स्तर में वृद्धि, प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से उपभोग, ग्लोबल वार्मिंग, वनों की कटाई और जैव विविधता में गिरावट शामिल हैं।
विश्व जनसंख्या दिवस के दिन विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से लोगों को जनसंख्या से जुड़ी चीजों को लेकर जानकारी दी जाती है। इस दिन को सेलिब्रेट करने की शुरुआत UNO की ओर से 11 जुलाई 1989 को की गयी थी, जिसके बाद से यह हर साल मनाया जाता रहा है।
विश्व जनसंख्या दिवस के दिन दुनिया भर में विभिन्न स्थानों पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और न केवल जनसंख्या संबंधी समस्याओं को उजागर करने के लिए भाषण दिए जाते हैं बल्कि उन तरीकों के बारे में भी बताया जाता है जिनसे लोग इनसे निपटने में मदद कर सकते हैं। लोगों को इस बारे में जागरूक किया जाता है कि उनका योगदान कैसे मदद कर सकता है और उनसे इस गंभीर समस्या पर काबू पाने में सहायता प्रदान करने का भी अनुरोध किया जाता है।
यह भी पढ़ें : Nibandh Lekhan: जानिए निबंध लेखन क्या होता है?
विश्व जनसंख्या दिवस पर 500 शब्दों में निबंध
500 शब्दों में विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध कुछ इस प्रकार से है:
विश्व जनसंख्या दिवस लोगों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की एक पहल है। यह दिन जनसंख्या वृद्धि के प्रभावों और लैंगिक समानता, परिवार नियोजन की आवश्यकता, बेरोजगारी, मातृत्व देखभाल और मानवाधिकारों जैसे अन्य मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
विश्व जनसंख्या दिवस जनसंख्या वृद्धि के कारण होने वाली समस्याओं के बारे में लोगों का ध्यान आकर्षित करता है और जागरूकता फैलाता है। यह दिन लोगों को परिवार नियोजन के महत्व को समझने में मदद करता है। इससे लोगों को अधिक जनसंख्या के कारण होने वाली समस्या के बारे में भी पता चलता है।
संयुक्त राष्ट्र ने 1989 में विश्व जनसंख्या दिवस बनाया। इस दिवस के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद यह दिन पहली बार 11 जुलाई 1990 को मनाया गया था। विश्व जनसंख्या दिवस की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा जनसंख्या के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी, जिसमें यह भी शामिल था कि वे पर्यावरण से कैसे संबंधित हैं।
विश्व जनसंख्या दिवस के कुछ प्रमुख महत्व इस प्रकार हैं:
- यह दिवस अधिक जनसंख्या के मुद्दों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। यह दिन परिवार नियोजन, प्रजनन स्वास्थ्य और सतत विकास पर चर्चा को प्रोत्साहित करता है।
- गरीबी कम करने और जीवन स्तर में सुधार के लिए जनसंख्या के मुद्दों को संबोधित करना महत्वपूर्ण है।
- अधिक जनसंख्या प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव डाल सकती है, वनों की कटाई, निवास स्थान की हानि और जलवायु परिवर्तन को बढ़ा सकती है।
- कम जन्म दर और सतत विकास हासिल करने के लिए महिलाओं और लड़कियों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आर्थिक अवसरों तक पहुंच आवश्यक है।
- विश्व जनसंख्या दिवस पर सरकारें, संगठन और समुदाय दुनिया भर में जनसंख्या स्थिरता, स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने वाली नीतियों पर सहयोग करने के लिए एक साथ आते हैं।
किसी भी दिवस को मनाने के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है। लेकिन 2024 के लिए विश्व जनसंख्या दिवस की थीम की अभी तक घोषणा नहीं की गई है। इससे पहले साल 2023 में इस दिवस की थीम ‘अनलीशिंग द पावर ऑफ जेंडर इक्वलिटी’ (Unleashing The Power Of Gender Equality) रखी गई थी।
विश्व जनसंख्या दिवस में स्वास्थ्य, लैंगिक समानता, शिशु मृत्यु दर और प्रजनन स्वास्थ्य जैसे मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाना शामिल है। इसके अलावा, यह बाल विवाह और किशोर गर्भावस्था का विरोध करता है। विश्व जनसंख्या दिवस का उद्देश्य एक ओर युवाओं को यौन शिक्षा और प्रजनन संबंधी मुद्दों के बारे में जानकारी देना भी होता है।
निबंध लेखन में नीचे दिए गए इन बिंदुओं का खास ध्यान दें-
- निबंध में शीर्षक हमेशा आकर्षक होना चाहिए।
- निबंध की शुरुआत में प्रस्तावना जरुर जोड़ें।
- निबंध में विषय विस्तार को बहुत जरूरी माना जाता है।
- निबंध के अंत में उपसंहार को जरूर जोड़ें।
- निबंध में विषय से जुड़ी सभी जानकारी होनी चाहिए।
- निबंध में सरल भाषा का प्रयोग करें।
- भाषा और शब्द चिन्ह का खास ध्यान दें।
- निबंध में उचित जानकारी ही दें।
सम्बंधित आर्टिकल्स
विश्व जनसंख्या दिवस हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है।
विश्व जनसंख्या दिवस 1989 से मनाया जा रहा है।
जनसंख्या से संबंधित चिंताओं के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए जनसंख्या दिवस मनाया जाता है।
विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत 1989 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई थी।
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध से जुड़ी पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
सीखने का नया ठिकाना स्टडी अब्राॅड प्लेटफाॅर्म Leverage Edu. खुशी को 1 वर्ष का अनुभव है। पूर्व में वह न्यूज टुडे नेटर्वक, जागृत जनता न्यूज (JJN) में कंटेंट राइटर और स्क्रिप्ट राइटर रह चुकी हैं। खुशी ने पत्रकारिता में स्नातक कंप्लीट किया है। उन्हें एजुकेशनल ब्लाॅग्स लिखने के अलावा रिसर्च बेस्ड स्टोरीज करना पसंद हैं।
प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें
अगली बार जब मैं टिप्पणी करूँ, तो इस ब्राउज़र में मेरा नाम, ईमेल और वेबसाइट सहेजें।
Contact no. *
Leaving already?
8 Universities with higher ROI than IITs and IIMs
Grab this one-time opportunity to download this ebook
Connect With Us
45,000+ students realised their study abroad dream with us. take the first step today..
Resend OTP in
Need help with?
Study abroad.
UK, Canada, US & More
IELTS, GRE, GMAT & More
Scholarship, Loans & Forex
Country Preference
New Zealand
Which English test are you planning to take?
Which academic test are you planning to take.
Not Sure yet
When are you planning to take the exam?
Already booked my exam slot
Within 2 Months
Want to learn about the test
Which Degree do you wish to pursue?
When do you want to start studying abroad.
September 2024
January 2025
What is your budget to study abroad?
How would you describe this article ?
Please rate this article
We would like to hear more.
Hindi.4eno.in
अब हिंदी में सारी जानकारी एक ही वेबसाइट पर।
जनसंख्या पर निबंध, स्कूल के लिए सबसे अच्छा निबंध (Essay on Population in Hindi)
जनसँख्या किसी भी देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है. और जिस प्रकार जनसँख्या में दिन के दिन वृद्धि हो रही है यह किसी भी राष्ट्र के लिए बहुत ही चिंता का विषय बनता जा रहा है, जिसपर गुर करना बहुत ही ज़्यादा ज़रूरी हो गया है. बात करें भारत की तो जिस तेज़ी से यहां की जनसँख्या में वृद्धि हो रही है, यह देश बहुत ही जल्द सबसे ज़्यादा जनसँख्या वाला देश बन जाएगा. और यह सरकार के लिए एक बहुत ही ज़्यादा विचार करने वाला मुद्दा है.
जनसंख्या पर निबंध
किसी भी देश की जनसंख्या की समस्या संसाधनों के कारण उत्पन्न होती है. ज्यादातर राज्यों में संसाधनों की कमी के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. देशों द्वारा अलग-अलग समय पर विभिन्न जनसंख्या नियंत्रण उपायों को लागू किया गया है. जनसंख्या नियंत्रण विधियों को तैयार और कार्यान्वित किया गया है जिसमें जनसंख्या पर लोगों को शिक्षित करना और जन्म नियंत्रण के प्रभावी तरीके शामिल हैं. यहां हमने इस विषय पर आपके लिए एक निबंध पेश किया है, जो आपको बहुत ही मददगार साबित होगा.
क्योंकि जनसँख्या इन दिनों सबसे ज़्यादा विचार करने वाले विषयों में से एक है तो आये दिन छात्रों को इस विषय पर असाइनमेंट भी मिलता है. इस पोस्ट की मदद से हमने आपको जनसँख्या पर एक बहुत ही अच्छा निबंध उपलब्ध कराया है, जो आपको अच्छे अंक हासिल करने में मददगार साबित होगा.
प्रस्तावना : जनसंख्या इन दिनों एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है. ऐसा इसलिए है क्योंकि लगभग सभी देश जनसंख्या से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं. ऐसी समस्याओं में निर्णयों को लागू करने में कठिनाई, सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना और रोजगार सुनिश्चित करना शामिल है. जनसंख्या का सबसे महत्वपूर्ण पहलू जनसंख्या का दबाव है. जनसंख्या दबाव किसी देश में जनसंख्या द्वारा लगाया जाने वाला दबाव है. इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था और समाज को जनसंख्या का भार वहन करना होगा.
बढ़ती जनसंख्या से होने वाली समस्या : जनसंख्या में वृद्धि एक राज्य के लिए सभी को न्यूनतम आवश्यकताएं प्रदान करना कठिन बना देती है. हालाँकि, दुनिया भर के देशों में जनसंख्या दबाव की समस्या अलग है. दुनिया के धनी देशों में, जनसंख्या का दबाव उसके पास मौजूद धन के कारण प्रबंधनीय है. विकासशील देशों में, समय के साथ जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देश के लिए खुद को स्थापित करना मुश्किल बना देती है.
इसका कारण यह है कि बढ़ी हुई जनसंख्या में अधिकांश ऐसे लोग हैं जो गरीब हैं और जिनके पास कोई शिक्षा या सामाजिक सुरक्षा नहीं है. उनके हितों की देखभाल करने के लिए देश व्यक्तिगत रूप से विकसित होने में विफल रहता है.
बढ़ती जनसँख्या के मुख्य कारण : देश की जनसंख्या दो कारकों-प्रवास और शिक्षा से प्रभावित है. जहां तक प्रवासन का संबंध है, लोग अक्सर विभिन्न कारणों से एक देश से दूसरे देश में प्रवास करते हैं. छात्र अक्सर शिक्षा के लिए दूसरे देशों में चले जाते हैं. युवा अक्सर अपने काम के माध्यम से उन्नत देशों की ओर पलायन करते हैं. ऐसे व्यक्ति आमतौर पर अपने शेष जीवन के लिए ऐसे देशों में बस जाते हैं. उनके बसने का मुख्य कारण सामाजिक सुरक्षा और आय के अवसर हैं. अन्य सुविधाएं भी हैं जो प्रथम विश्व के देशों के लोगों को उनकी अर्थव्यवस्था से मिलती हैं.
सबसे अच्छा जनसंख्या पर निबंध
घोर गरीबी के कारण, वे अक्सर सोचते हैं कि कई बच्चे होने से उनकी आर्थिक समस्याओं का समाधान हो जाएगा. उनकी ओर से यह विचार इस तथ्य से उपजा है कि उनके बच्चे बड़े होकर जीवन भर उनका भरण-पोषण करेंगे. लेकिन अक्सर वे यह पहचानने में विफल रहते हैं कि इससे पूरे देश पर बोझ पड़ता है. अक्सर विकासशील राष्ट्र अधिक जनसंख्या की समस्याओं और इसके परिणामों के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए कार्यक्रम चलाते हैं.
निष्कर्ष : बढ़ती जनसंख्या से निपटने का सबसे अच्छा तरीका जन्म नियंत्रण उपायों में शामिल होना है. इस तरह के उपायों में भारी मात्रा में सामाजिक नियंत्रण के साथ-साथ अन्य चिकित्सा उपकरण शामिल हैं जो किसी देश की जन्म दर को नियंत्रित करते हैं. चिकित्सा प्रक्रियाएं अक्सर जनसंख्या को नियंत्रित कर सकती हैं, लेकिन ऐसी प्रथाओं को अत्यधिक महत्व नहीं दिया जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि वे आमतौर पर किसी व्यक्ति के चिकित्सा अधिकारों पर विचार नहीं करते हैं, और ऐसी प्रक्रियाओं के दौरान मरने की संभावना अधिक होती है.
इसका सबसे अच्छा तरीका यही है की लोगों को जनसँख्या में वृद्धि होने के नुक्सान के बारे में बताया जाए. सख्त कानून भी इस चीज़ को लेकर बनने चाहिए. क्योंकि बहुत सी आबादी अभी भी ऐसी ही है जो न तो शिक्षित है, और न ही कुछ समझना चाहती है. इसीलिए अगर वे कानून का पालन नहीं करते हैं तो उनपर सख्त कारहवाही की जानी चाहिए.
हम उम्मीद करते हैं की आपको यह निबंध ‘जनसंख्या पर निबंध’ पसंद आया होगा. कई अन्य तरह की जानकारियों को हासिल करने के लिए पेज के साथ बने रहें और अपना फीडबैक कमेंट सेक्शन के माध्यम से शेयर करें.
One thought on “ जनसंख्या पर निबंध, स्कूल के लिए सबसे अच्छा निबंध (Essay on Population in Hindi) ”
Leave a reply cancel reply.
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
Self Study Mantra (Hindi)
- निबंध लेखन
- जीवन परिचय
- 10 लाइने
- Essay in English
जनसँख्या विस्फोट : कारण एवं निवारण | जनसँख्या विस्फोट पर निबंध (Essay on Population Explosion in Hindi)
जनसँख्या विस्फोट पर निबंध (essay on population explosion in hindi ).
वर्तमान समय में विश्व की जनसँख्या लगभग 770 करोड़ (2020) है जो लगातार बढ़ती जा रही है। और यदि बढ़ती जनसँख्या के रफ़्तार पर रोक न लगायी गयी तो आने वाले समय में सम्पूर्ण संसार को इसके नकारात्मक परिणाम भुगतने पड़ेंगे। बढ़ती जनसँख्या की जरुरतो को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का प्रतिदिन दोहन हो रहा है। एक ओर जहाँ प्राकृतिक संसाधन सीमित होने के कारण उनमे कमी हो रही है वही दूसरी ओर बढ़ती जनसँख्या की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों पर भार बढ़ता जा रहा है। इसलिए अगर जनसँख्या वृद्धि पर नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले समय में इसके भयावह परिणाम भुगतने पड़ेंगे। जनसंख्या विस्फोट पर इस निबंध में है जनसँख्या में वृद्धि के कारण और जनसँख्या वृद्धि को रोकने के उपाय पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
जनसँख्या विस्फोट : कारण एवं निवारण निबंध (Jansankhya visfot par nibandh)
जनसँख्या विस्फोट से आशय जनसँख्या में तीव्र वृद्धि से है। विश्व की जनसँख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। यूनाइटेड नेशन के अनुमान के अनुसार विश्व की जनसँख्या 2050 तक 973 करोड़ को पार कर जायेगी जो वर्तमान समय में लगभग 770 करोड़ (2020) है। इतनी तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसँख्या प्राकृतिक संसाधनों के साथ-साथ मानव जाति के लिए हानिकारक है। बढ़ती जनसँख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अधाधुंध दोहन आने वाले समय में न सिर्फ मनुष्य वरन सभी जीवधारियों की विनाशकारी साबित हो सकता है।
तो अब सवाल इस बात का है कि बढ़ती जनसंख्या के लिए जिम्मेदार कौन हैं ? क्या मनुष्यों में संतानोत्पत्ति की इच्छा बढ़ती जनसँख्या के लिए उत्तरदायी है या फिर अशिक्षा,अन्धविश्वास एवं गरीबी? या यह धर्म को बढ़ावा देने के लिए किसी एक धर्म विशेष की बढ़ती जनसँख्या का परिणाम है।
जनसँख्या विस्फोट का कारण निबंध (jansankhya visphot ke kya karan hai)
अशिक्षा, अन्धविश्वास एवं गरीबी जनसँख्या विस्फोट के लिए कुछ प्रमुख कारण हैं। प्राचीन काल से ही संतान की उत्पति ईश्वर की इच्छा माना जाता है। अशिक्षित लोग आज भी इसे ईश्वर की इच्छा मानते हैं। उन्हें इस बात की कोई चिंता नहीं होती है की उनके संतान के लिए अच्छा भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा इन सब की पूर्ति कहाँ से होगी। उनका मानना है कि जिस भगवान या अल्लाह ने हमें संतान दी है वे हमारे बच्चों के लिए भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा इत्यादि का भी प्रबंध करेंगे और अगर वे भूखें मरते हैं तो भी वे बोलते हैं यही भगवान या अल्लाह की इच्छा है। यह अशिक्षा एवं अन्धविश्वास नहीं तो और क्या है ? जो जनसंख्या वृद्धि के लिए सर्वाधिक उत्तरदायी हैं।
कुछ लोगों की मानसिकता यह है कि संतान ही सम्पति है। वे कहते हैं जितने अधिक बच्चे होंगे उतने ही अधिक पैसे कमाएंगे और इस विचार के साथ कई बच्चों को जन्म देते है। प्रायः इस प्रकार की मानसिकता रखने वाले लोग अशिक्षित एवं गरीब होते हैं जिससे अशिक्षा, गरीबी एवं जनसंख्या विस्फोट विकराल रूप धारण करती जा रही है।
कुछ वर्षो पूर्व भारत जैसे बहुत से देशों में एबॉर्शन जैसी सुविधा या इसके लिए दवाइयों की पर्याप्त उपलब्धता नहीं थी। जिससे लोग न चाहते हुए भी अधिक संतानों को जन्म दिया। हालाँकि अब यह समस्या लगभग समाप्त हो गयी है।
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि एक धर्म के लोग अपनी जनसँख्या को बढ़ाने के लिए अपने अनुयायिओं को कई संतान पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। जिससे उस व्यक्तिगत समुदाय या धर्म की जनसँख्या बढ़ने के साथ - साथ विश्व की जनसँख्या में तीव्र वृद्धि हो रही है।
जनसँख्या वृद्धि रोकने के उपाय निबंध (Jansankhya vridhi rokne ke upay)
सीमित प्राकृतिक संसाधनों के तुलना में तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या वैश्विक चिंता का विषय है। उपरोक्त बिंदुओं से यह स्पष्ट है कि अशिक्षा, अन्धविश्वास, गरीबी, एवं जागरूकता का अभाव जनसँख्या वृद्धि के लिए प्रमुख कारण हैं। अतः इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आवश्यक कदम उठाकर जनसँख्या वृद्धि को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
अशिक्षा जो अन्धविश्वास के लिए भी उत्तरदायी है जनसँख्या वृद्धि के लिए प्रमुख कारणों में से एक है। शिक्षित वर्ग अपनी एवं अपने परिवार के सदस्यों के जरूरतों को समझता है। वह सिर्फ एक या दो बच्चों के परिवार को उचित समझता है क्योंकि वह जानता है कि उन्हें अपने दोनो बच्चों के लिए अच्छा भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा इन सब की पूर्ति अपने सीमित संसाधनों से ही करना है। और इसीलिए वह अपने बच्चों के लिए अच्छा भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा इन सब की पूर्ति आसानी से कर लेता है और सुखमय जीवन व्यतीत करता है।
शिक्षित समाज में अन्धविश्वास का स्थान निचले पावदान पर होता है। अगर समाज शिक्षित होगा तो लोग बहुसंतान भगवान की देन न समझकर अपने कर्मो का परिणाम समझेंगे और एक या दो संतान को ही प्राथमिकता देंगे। साथ ही मेरा ऐसा मानना है कि शिक्षित समाज धर्म के बहकावे में आकर अधिक बच्चे पैदा नहीं करेगा। अतः हमें समाज के प्रत्येक वर्ग को शिक्षित करने की जरूरत है इससे न केवल जनसँख्या वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है वरन देश, समाज और प्रकृति सबको समृद्धि के नयी उचाईयों तक पहुंचाया जा सकता है।
इसके अलावा परिवार नियोजन, विवाह की आयु में वृद्धि करना, अधिकतम संतान सीमा निर्धारण, सामाजिक सुरक्षा, उच्च जीवन स्तर का प्रयास के साथ-साथ जागरूकता जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में सहायक साबित हो सकते हैं।
जनसँख्या विस्फोट पर निबंध हिंदी में
उम्मीद है जनसँख्या विस्फोट : कारण एवं निवारण पर यह निबंध जिसमे जनसँख्या विस्फोट के कारण (jansankhya visfot ke karan) एवं जनसँख्या वृद्धि रोकने के उपाय (jansankhya vridhi rokne ke upay) पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है, आपको पसंद आया होगा और आपकी परीक्षा के साथ - साथ ज्ञान संवर्धन में भी लाभकारी होगा।
आप अपना सुझाव हमें कमेंट बॉक्स में निःसंकोच भेज सकते हैं। आपके सुझाव भविष्य में निबंध लेखन को परिष्कृत करने में सहयोगी होगें।
You may like these posts
Post a comment, popular posts.
पेड़ पर 10 लाइनें | 10 Lines on Trees in Hindi
होली पर्व पर 10 लाइन | 10 Lines on Holi in Hindi
कवि देव का जीवन परिचय एवं साहित्यिक कृतियाँ | Kavi Dev Ka Jivan Parichay
वृक्षों का जीवन में महत्त्व निबंध (Importance of trees essay in hindi)
Featured post
संविधान दिवस पर 10 लाइन हिंदी में | 10 Lines on Constitution Day in Hindi
संविधान दिवस पर 10 लाइन हिंदी में | 10 Lines on Constitution Day in Hindi भारत में संव…
- 10_Lines_in_Hindi 4
- Jivan Parichay 4
- निबंध 20
- भाषण 1
भदंत आनंद कौसल्यायन का जीवन परिचय | Bhadant Anand Kausalyayan Ka Jivan Parichay
Menu footer widget.
- Privacy Policy
बढ़ती जनसंख्या एक समस्या पर निबंध – दुष्परिणाम
By मनीष कुमार साहू
जनसंख्या वृद्धि मतलब, एक ऐसी स्थिति उत्पन्न होना जिसमें लोगों की संख्या ना चाहते हुए भी इतनी ज्यादा हो जाए कि खाने रहने के लिए स्रोतों की कमी पड़ने लगे।
आज विश्व की कुल आबादी 7 अरब से ज्यादा है जिनमें से सबसे ज्यादा चीन और उसके बाद भारत का नंबर आता है। बढ़ती जनसंख्या इतनी बड़ी समस्या है, कि जिसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल होता है।
अगर मोटे तौर पर देखा जाए तो किसी देश की जनसंख्या जितनी ज्यादा होगी उस देश की में प्राकृतिक संसाधनों और स्त्रोतों की ज्यादा जरूरत होगी।
और इस स्थिति में उस देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है। चीन ने इस समस्या को पहले ही भांप लिया था, इसीलिए कई दशक पहले उसने एक बच्चे से अधिक पैदा करने पर कई तरह के दण्ड लगा दिए थे। जिसकी वजह से ज्यादातर लोग एक ही बच्चा पैदा करते थे। हालांकि अब इसमें कुछ बदलाव किया गया है।
खैर, कुछ आंकड़ों पर भी नजर डाल लेते हैं। उत्तरी अमेरिका दुनिया के 16 प्रतिशत भू भाग में है जबकि दुनिया की सिर्फ 6% जनता वहां निवास करती है। उससे भी हैरानी की बात तो यह है कि दुनिया की 45% इनकम उन्ही के पास है।
दूसरी तरफ एशिया दुनिया के 18% भूभाग पर फैला हुआ है जबकि दुनिया की 67 प्रतिशत जनता इसी भू भाग पर निवास करती है। लेकिन फिर भी विश्व के इनकम का सिर्फ 12% हिस्सा इनके पास है। अगर अफ्रीकी देशों की बात करें तो वहां की स्थिति और भी खराब है।
इन आंकड़ों से एक बात जो आसानी से समझी जा सकती है, वह यह कि अतिक्रमी आबादी वाले देशों की आर्थिक सामाजिक स्थिति हमेशा चिंताजनक ही रहती है। उनके नागरिकों को ना सिर्फ भरपेट भोजन मिलने में दिक्कत होती बल्कि जो भोजन मिलता भी है उसकी गुणवत्ता बहुत कम दर्ज की होती है।
इस अतिक्रमी आबादी का दुष्प्रभाव दक्षिण एशियाई देशों जैसे चीन, बांग्लादेश, फिलीपींस, भारत और पाकिस्तान में आसानी से देखा जा सकता है।
7 अरब की आबादी वाले विश्व में 1.3 अरब जनसंख्या के साथ भारत आबादी के मामले में दूसरे नंबर पर आता है। और देश की तमाम गंभीर समस्याओं के साथ यह भी एक गंभीर समस्या है। भारत में कई प्रदेशों की जनसंख्या तो विश्व के कई देशों की जनसंख्या से भी ज्यादा है। और उनमें सबसे आगे है-उत्तर प्रदेश। जिसमें 166 मिलियन यानी 16 करोड़ से भी ज्यादा की जनसंख्या निवास करती। जो की रूस की जनसंख्या से ज्यादा है। क्योंकि रूस की कुल जनसंख्या लगभग 15 करोड़ के आस-पास की है। इसी प्रकार उड़ीसा कनाडा से छत्तीसगढ़ ऑस्ट्रेलिया से ज्यादा आबादी वाले प्रदेश हैं।
विषय-सूचि
बढ़ती जनसंख्या के कारण
1. मृत्यु दर के मुकाबले जन्मदर में अधिकता.
किसी भी देश की जनसंख्या में उतार-चढ़ाव के मुख्य और प्राकृतिक कारण होता है, जन्म दर और मृत्यु दर। भारत में अभी स्थिति यह है कि जन्म दर मृत्यु दर के मुकाबले बहुत अधिक है। 2016 के हिसाब से देखें तो 2016 में जन्म दर 19.3 प्रति 1000 था। अर्थात किसी एक निश्चित समय अवधि में 1000 लोगों को बीच 19.3 नए बच्चे जन्म ले रहे हैं।
जबकि उतनी ही समय अवधि में 1000 लोगों के मध्य 7.3 लोगों की ही मृत्यु हो रही है। यानी हर पल लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। ये नही कहा जा रहा है कि मृत्यु दर को बढ़ाया जाए बल्कि ध्यान इसपर देना चाहिये कि जन्मदर को कैसे कम किया जाय।
2. परिवार नियोजन की कमी
भारत में अधिकतर लोगों के पास अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए कोई योजना नहीं होती। उन्हें लगता है कि 15 से 45 वर्ष की आयु में कभी भी बच्चे पैदा कर सकते हैं, और इस प्रकार उनके कई बच्चे हो जाते हैं।
जिससे उनके घर की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर तब पड़ता है, जब वह बच्चे बड़े होने लगते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होते ही साड़ी व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है।
3. धार्मिक रूढ़िवादिता
भारत जैसे देश में आज भी रूढ़िवादी मानसिकता वाले लोगों की कमी नहीं है, जो यह सोचते हैं कि परिवार बढ़ाने की योजना बनाना गलत है। जो कुछ भी है भगवान की देन है।
अधिकतर वह महिला जो बच्चे को जन्म देने वाली है उनसे इस विषय में कुछ नही कर पाती क्योंकि ऐसा करना भगवान के खिलाफ जाने जैसा हो जाता है।
वहीं मुस्लिम धर्म का तो अलग ही फंडा है, हिंदू के मुकाबले मुस्लिमों का जन्मदर कई गुना ज्यादा है।कुछ सर्वेक्षणों की मानें तो पुराने ख्यालात के साथ-साथ अपनी कौम को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने के चक्कर में मुसलमान दर्जनों का परिवार खड़ा कर लेते हैं।
4. कम उम्र में शादी
कम उम्र में शादी भी जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक हैं। आज के इस आधुनिक युग में भी बहुत सारे बच्चे-बच्चियों की शादी कम उम्र में ही हो जाती है।
उनकी शादी तभी कर दी जाती है, जब वह ना तो शारीरिक और मानसिक तौर पर फिट होते हैं और ना ही आर्थिक और भावनात्मक तौर पर मजबूत होते हैं। इस स्थिति में उनके भी कई सारे बच्चे हो जाते हैं जो कि जनसंख्या वृद्धि को और बढ़ावा देते हैं।
5. गरीबी
गरीबी भी देश की जनसंख्या बढ़ाने में अहम किरदार निभाती है। बहुत सारे परिवार के लोग इसलिए भी कई बच्चे पैदा कर लेते हैं क्योंकि उन्हें अपना जीवन चलाने के लिए बच्चों की सहायता की जरूरत पड़ती है।
उनकी गरीबी उनको मजबूर करती रहती है कि वो कई बच्चे पैदा करें। बच्चे तो हो जाते हैं हैं लेकिन उनका भरण-पोषण वो अच्छे से नहीं कर पाते, जिससे वो गरीब से और गरीब होते चले जाते हैं।
6. शिक्षा की कमी
यहाँ तक जो भी कारण अभी बताए गए हैं, उनका एक कारण है शिक्षा की कमी। अगर पर्याप्त शिक्षा मिले तो परिवार नियोजन की कमी, धार्मिक रूढ़िवादिता, कम उम्र में शादी और गरीबी जैसे मुद्दों पर लड़ाई लड़ी जा सकती है। परिवार नियोजन ना सीधे-सीधे अशिक्षा और अज्ञानता की कमी की ओर इशारा करते हैं, खासकर महिलाओं में।
जो लोग अशिक्षित होते हैं उन्हें आँकड़े नही समझ में आते। उनको ये बात समझना मुश्किल हो जाता है कि देश में जनसंख्या विस्फोट से कितनी समस्याओं का जन्म होता है।
ये तो हो गए अतिक्रमी आबादी (जनसंख्या विस्फोट) के कुछ प्रमुख कारण, अब उनके दुष्परिणाम पर नजर डालते हैं।
बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम
1. प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव.
अधिक आबादी मतलब, प्राकृतिक संसाधनों की अधिकतम दोहन। अगर ज्यादा लोग होंगे तो उनके खाने-पीने से लेकर रहने और पहनने तक के लिए ज्यादा चीजों की जरूरत पड़ेगी।
सभी चीजों को उपलब्ध कराने के लिए लोग तरह-तरह के जुगाड़ लगाएंगे और वही जुगाड़ पृथ्वी पर अपना दबाव बनाता रहेगा। फलस्वरुप ग्लोबल वार्मिंग और खाने-पीने की चीजों की कमी जैसे तमाम मुद्दों पर चिंता बढ़ने लगेगी
2. गरीबी में बढ़ोतरी
जाहिर सी बात है कि लोग ज्यादा होंगे तो प्राकृतिक संसाधनों का दोहन ज्यादा होगा। लेकिन प्रकृति भी एक सीमित मात्रा में संसाधन दे सकती है।
उसके अलावा भी बहुत सारी चीजों की जरूरत पड़ती है। गरीबी के चलते लोगों के बच्चे ना तो पढ़ पाते हैं और ना ही आगे बढ़ पाते हैं। इस दशा में वो गरीब के गरीब ही रह जाते हैं।
3. पलायन की मजबूरी
इस देश में बहुत सारी जगह ऐसी है जहां पर पानी खाना जैसी तमाम प्राकृतिक संसाधनों की कमी है लोग पहले से ही गरीब रहते हैं और बढ़ती पीढ़ी के साथ गरीब चले जाते हैं क्योंकि उनकी जनसंख्या बढ़ती जाती है।
लेकिन जब किसी एक विशेष स्थान पर बहुत ज्यादा लोग निवास करने लगते हैं, वो भी कम संसाधन वाले क्षेत्र में तो जीवन चलना भी दूभर हो जाता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए वहाँ के लोगों को मजबूरी वश पलायन करना पड़ता है।
4. अमीर गरीब का अंतर
एक आदमी अपने घर में आधे दर्जन बच्चे पैदा कर लेता है, क्योंकि वह अशिक्षित है। वह शिक्षित इसलिए है क्योंकि वह गरीब था। और कभी भी लिख पढ़ नहीं पाया था।
अब ये जो आधे दर्जन बच्चे हैं यह भी गरीब ही रहेंगे, क्योंकि यह भी पढ़ लिख नहीं पाएंगे और शिक्षित नहीं हो पाएंगे। ये फिर वही पूरी प्रक्रिया दोहराएंगे जो इनके पूर्वजों ने दोहराया था। इस प्रकार वह हमेशा गरीब ही रहेंगे।
वही अमीर शिक्षित हैं और उसे पता है कि परिवार नियोजन के क्या-क्या उपाय हैं। इसलिए सीमित परिवार ही रखेगा और हर बढ़ती पीढ़ी के साथ अमीर होता चला जाएगा। इस प्रकार अतिक्रमी जनसंख्या से अमीर और गरीब के बीच का फर्क भी बढ़ता ही जाता है
तो यह थे समाज के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अतिक्रमी जनसंख्या के पड़ने वाले प्रभाव। अब उनके निस्तारण की ओर चला जाए। आज के इस आधुनिक युग में अतिक्रमी जनसंख्या यानी जनसंख्या विस्फोट पर रोक लगाने में सफलता पा लेने का मतलब है- गरीबी, अशिक्षा बेरोजगारी आर्थिक पिछड़ापन जैसे तमाम समस्याओं से दूर कर देना।
हालांकि यह सब कुछ कर पाना इतना आसान नहीं है, लेकिन अगर कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान दिया जाए तो काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।
बढ़ती जनसँख्या का समाधान
1. परिवार नियोजन.
एक समृद्ध और खुशहाल देश के लिए यह जरूरी होता है कि उस देश के आम आदमी स्वस्थ रहें और उनकी जनसंख्या देश की आर्थिक स्थिति के अनुरूप हो।
यह तभी संभव है जब उस देश के आम आदमी इस बात को समझेंगे और परिवार नियोजन के उपाय अपनाकर जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में अपना योगदान देंगे।
2. नियंत्रित दर
नियंत्रित दर का मतलब यह है कि बच्चों के जन्म के बीच निश्चित अवधि का अंतर होना। जो कि बहुत जरूरी होता है। ऐसा करने पर जन्मदर को भी कम करने में सहायता मिलेगी।
दो बच्चों के बीच एक निश्चित अवधि का अंतर होता है तो माता-पिता के साथ साथ बच्चों के स्वास्थ्य भी ठीक-ठाक रहेगा। जब स्वास्थ्य ठीक रहेगा तो उनकी शिक्षा-दीक्षा भी सही रह पाएगी।
3. अल्पायु में शादी
जैसा की हमने अभी बताया था कि कम उम्र में शादी करना भी अतिक्रमी जनसंख्या का बहुत बड़ा कारण होता है, तो अगर कम उम्र में शादी ना हो तो अतिक्रमी जनसंख्या पर नियंत्रण करने में सहायता मिलेगी।
हालांकि हमारे देश के संविधान में लड़कियों की शादी 18 और लड़कों की 21 वर्ष में शादी का प्रावधान है, लेकिन देश के कई हिस्सों में अभी भी लोग बहुत कम उम्र में शादी कर देते हैं। जो कि समाज के लिए काफी घातक होता है।
4. महिलाओं का सशक्तिकरण
महिलाओं के सशक्तिकरण से देश बढ़ रही जनसंख्या को कम करने में आसानी मिल सकेगी। बहुत सारे मामलों में देखा जाता है कि परिवार बढ़ाने के मामले में महिलाओं की कोई राय नहीं ली जाती।
महिलाओं को तो इतना अधिकार भी नहीं दिया जाता कि वह अपनी राय सबके सामने रख सकें। वो बस बच्चे पैदा करने की मशीन भर बनकर रह जाती हैं।
ऐसे में अगर महिलाओं में सशक्तिकरण का विकास होगा तो उनमें भी निर्णय लेने की क्षमता का विकास होगा। और उन निर्णयों को अमल में लाने की क्षमता का भी विकास होगा।
5. प्राथमिक स्वास्थ्य में सुधार
वैसे तो सरकारें हमेशा से ही अच्छी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने का दावा करती है लेकिन ऐसा हो पाना मुश्किल ही रहता है। जब लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तो वह अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने में पूरे जोर-शोर के साथ लगेंगे।
और जब उनकी आर्थिक स्थिति ठीक रहेगी तभी वह अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा, अच्छा खाना और अच्छी परवरिश दे पाएंगे। जब उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा अच्छी परवरिश मिलेगी तो वो जनसंख्या विस्फोट से होने वाले दुष्प्रभावों को अच्छे से समझ पाएंगे। और उसको कम करने की कोशिश करेंगे।
6. शिक्षा में सुधार
शिक्षा एक ऐसी कड़ी है जिसके बिना कुछ भी संभव पाना मुश्किल ही है। शिक्षा अगर नहीं है तो समाज के किसी भी वर्ग का उत्थान नहीं हो पाएगा। शिक्षा रहेगी तो लोगों को अच्छे-बुरे में फर्क करना समझ में आ जाएगा।
साथ ही उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में भी सुधार होगा। उदाहरण के तौर पर किसान को ले लेते हैं क्योंकि किसान एक कमजोर आर्थिक स्थिति से आते हैं। अगर उनको अच्छी शिक्षा ना मिली तो वह वैसे ही रह जाएंगे जैसे उनकी पिछली पीढ़ी थी।
लेकिन अगर उनको अच्छी शिक्षा मिली तो अच्छी पढ़ाई करके वो किसान में ही अमूल चूल परिवर्तन करके अच्छा पैसा कमा सकेंगे या फिर किसान के अलावा भी बहुत कुछ कर सकेंगे ऐसे ही समाज के सभी वर्गों में होगा।
अतः अच्छी शिक्षा से जनसंख्या विस्फोट को कम करने में बहुत बड़ी सहायता मिलेगी।
7. जागरूकता फैलाकर
हमारे देश और समाज में एक बड़ी संख्या में ऐसी आयु वर्ग के लोग हैं जिन्हें अब स्कूल भेज पाना मुश्किल है। लेकिन अगर उन्हें अच्छे से समझाया जाय कि अधिक आबादी के दुष्परिणाम क्या होते हैं तो स्थिति को सुधारा जा सकता है।
अगर देश पिछड़े इलाकों में लोगों के बीच जाकर किसी भी माध्यम (ऑडियो,वीडियो,प्रिंट,नाटक) से उनके दिमाग में ये बात बैठा दी जाय कि जनसंख्या विस्फोट उनके लिए हानिकारक है तो इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
[ratemypost]
मनीष साहू, केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद से पत्रकारिता में स्नातक कर रहे हैं और इस समय अंतिम वर्ष में हैं। इस समय हमारे साथ एक ट्रेनी पत्रकार के रूप में इंटर्नशिप कर रहे हैं। इनकी रुचि कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में भी है।
Related Post
पंडित मदन मोहन मालवीय की संकलित रचनाओं का विमोचन करेंगे प्रधानमंत्री मोदी, छठ की रेल: ‘वंदे भारत’ के चकाचौंध में धक्के खाता ‘असली भारत’, cji ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष रूप से सक्षम कर्मचारियों द्वारा प्रबंधित कैफे का किया उद्घाटन, 9 thoughts on “बढ़ती जनसंख्या एक समस्या पर निबंध – दुष्परिणाम”.
it is very nice
??Tomorrow is my hindi exam hope this topic will come in the exam and I can do my best as I have no hindi tuition in private and so I have taken a idea from this . The writings that are written in the essay is easy and for me it is helpful also. Pray for me for tomorrow’s exam.??
Thanking You Priyanka
Bahut accha
Tomorrow is my hindi half yearly examination and my hindi book has this topic and the language of our book is very difficult so I searched the topic in Google and I guess it’s the easiest way to learn and understand the topic OVER POPULATION..Hope dis will help,,, THANKYOU 💖👍
It’s nice essay very useful
Bhai sahab ye bachche itne kyon paide hotel Hain? Karan bataen👩❤️💋👨
It’s very nice
nice essay well done
Leave a Reply Cancel reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
Landslide in Kerala: वायनाड भूस्खलन- प्राकृतिक हादसा या मानव जनित?
Paris olympic 2024: “जलवायु आपातकाल” के बीच ऐतिहासिक आयोजन, 25 जुलाई को मनाया जायेगा संविधान हत्या दिवस – अमित शाह, आईएएस पूजा खेड़कर – जानिए पूरी कहानी.
- Now Trending:
- Nepal Earthquake in Hind...
- Essay on Cancer in Hindi...
- War and Peace Essay in H...
- Essay on Yoga Day in Hin...
HindiinHindi
Essay on population in hindi जनसँख्या पर निबंध.
Friends, we are going to talk about Essay on Population in Hindi. जनसँख्या पर निबंध। What’s the population of India in Hindi? We will tell you everything about Population in Hindi. What is the solution of Jansankhya Vridhi? We added some slogan on Population in Hindi which will help you get good score in exam . Essay on Population in Hindi is one of the most frequently asked questions in school and colleges.
Read long essay on Population in Hindi in 200, 500 and 1000 words
Essay on Population in Hindi 200 Words
बढ़ती जनसंख्या का भयावह रूप – विचार – बिंदु – • जनसंख्या वृद्धि – एक भयावह समस्या • परिणाम • कारण और समाधान।
भारतवर्ष की सबसे बड़ी समस्या है – जनसंख्या वृद्धि। भारत की आबादी 109 करोड़ का आँकड़ा पार कर चुकी है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के अनेक कारण हैं। पहला कारण है अनपढ़ता। दूसरा कारण है-अंधविश्वास। अधिकतर लोग बच्चे को भगवान की देन मानते हैं। इसलिए वे परिवार नियोजन को अपनाना नहीं चाहते। लड़के-लड़की में भेदभाव करने से भी जनसंख्या बढ़ती है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर समस्या आज हमारे सामने खड़ी है। कृषि योग्य भूमि का क्षय हो रहा है। वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। भौगोलिक संतुलन बिगड़ रहा है। बेकारी बढ़ रही है। परिणामस्वरूप लूट, हत्या, अपहरण जैसी वारदातें बढ़ रही हैं। भ्रष्टाचार का चारों तरफ बोलबाला है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा। जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार को चाहिए कि परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति दे। सरकार को चाहिए कि इस दिशा में कठोरता से नियम लागू करे अन्यथा आने वाली पीढ़ी को भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है।
Essay on Population problem in India in Hindi
How to improve living conditions in slums in Hindi
Essay on Population in Hindi 500 Words
रूपरेखा : बढ़ती जनसंख्या – भारत की प्रमुख समस्या, बढ़ती जनसंख्या –प्रगति में बाथक, जनसंख्या वृधि के दुष्परिणाम – साधनों में कमी, बेरोज़गारी, सामाजिक बुराइयों का जन्म, जनसंख्या नियंत्रण के प्रति चेतना, उपसंहार।
भारत को स्वतंत्र हुए आधी सदी बीत गई। इन वर्षों में देश ने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की। कृषि, विज्ञान, उद्योग-धंधे आदि में हमारा देश बहुत तेज़ी से प्रगति कर रहा है, किंतु फिर भी उसका लाभ दिखाई नहीं पड़ रहा है। आम आदमी आज भी गरीब है। देश में आज भी कुछ लोग भूख से मर रहे हैं। बहुतों के पास तन ढकने के लिए पर्याप्त वस्त्र नहीं हैं। वे झुग्गी-झोपड़ियों में रहते है। सहज ही प्रशन उठता है कि इसका कारण क्या है? और इस प्रश्न का सीधा-सरल उत्तर है – भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या।
आज हमारी हर बड़ी समस्या के मूल में जनसंख्या की समस्या है। यातायात और परिवहन के साधनों में अपार वृधि हुई है। रेलों-बसों की संख्या अधिक है फिर भी भीड़-भाड़ दिखाई पड़ती है। आप शांति और सुविधा से यात्रा नहीं कर सकते। भीड़-भाड़ तो जैसे हमारी पहचान बन गई है। अस्पतालों में, प्लेटफ़ार्मों पर, विद्यालयों में, बाज़ारों में, कार्यालयों में, किसी भी सार्वजनिक स्थान पर दृष्टि डालिए आपको लोगों के सिर ही सिर दिखाई पड़ेंगे।
इस भीड़-भाड़ का परिणाम यह है कि हमारी सारी आधारभूत सुविधाएँ, हमारे सारे संसाधन कम पड़ते जा रहे हैं। अस्पताल जितने खोले जाते हैं, मरीज़ों की संख्या उससे कई गुना बढ़ जाती है। हर वर्ष हज़ारों नए विद्यालय खुलते हैं, पर अनेक छात्रों को मनचाहे विद्यालय में प्रवेश नहीं मिलता। कक्षाओं में छात्रों की संख्या इतनी हो जाती है कि बैठने को पर्याप्त स्थान नहीं होता। यह दशा तब है जब आज भी लाखों बच्चे विद्यालय में प्रवेश नहीं लेते हैं।
बेरोज़गारी की समस्या जनसंख्या वृद्धि की समस्या की ही उपज है। अनेक प्रकार के उद्योग धंधे खुले हैं। कृषि क्षेत्र में आशा से बढ़कर प्रगति हुई है। नए रोज़गार के लाखों अवसर बने, फिर भी बेरोज़गारों की संख्या में कमी नहीं हुई, बल्कि बेरोज़गारी की समस्या और अधिक भयंकर होती जा रही है। बेरोज़गारी से अनेक सामाजिक बुराइयाँ जन्म लेती हैं। अपराध बढ़ते हैं, असामाजिक तत्त्व पनपते हैं। सुख-चैन और शांति भरा जीवन सपना हो जाता है।
हमारा देश जनसंख्या की दृष्टि से संसार का दूसरा सबसे बड़ा देश है। सारे विश्व की जनसंख्या का लगभग छठा भाग भारत में बसा है जबकि भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का लगभग 2.4 प्रतिशत ही है। आज हमारी जनसंख्या एक अरब से अधिक हो चुकी है। यदि इस पर शीघ्र ही अंकुश नहीं लगाया गया तो भीषण संकटों का सामना करना पड़ेगा।
जनसंख्या की वृद्धि रोकने के लिए कुछ ठोस उपाय करने होंगे। सबको इस समस्या के प्रति सजग करना होगा। देशवासियों को बताना होगा कि जनसंख्या वृद्धि को रोकना क्यों आवश्यक है। जनसंख्या रोकना हमारा परम कर्तव्य है और इस कर्तव्य का पालन सच्ची देशभक्ति है।
Essay on Secularism in Hindi
Essay on Inflation in Hindi
Essay on Population in Hindi 1000 Words
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जिसके सामने प्रदूषण, अशिक्षा और बढ़ती जनसंख्या आदि अनेक समस्याएँ हैं। इन समस्याओं में बढ़ती हुई जनसंख्या देश की प्रगति और विकास में सबसे बड़ी बाधक है, जिसके कारण सरकार की अच्छी-से-अच्छी योजनाएँ भी विफल होती जा रही हैं।
बढ़ती जनसंख्या के कारण देश के सभी नागरिकों को सर्वाधिक आवश्यक वस्तुएँ- अन्न, जल, वस्त्र और आवास आदि की सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो पातीं। आज देश के लाखों लोगों को न भर पेट भोजन मिल पाता है, न पीने को स्वच्छ जल, न तन ढकने को वस्त्र और न रहने के लिए घर।
हमारे देश ने स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् कृषि, उद्योग और व्यवसाय आदि अनेक क्षेत्रों में आशातीत सफलता पाई है। देश की अधिकांश उपजाऊ भूमि पर खेती हो रही है। सिंचाई के लिए देश की अनेक नदियों का उपयोग किया जा रहा है। स्वतंत्रता के बाद भाखड़ा नंगल, दामोदर घाटी, नागार्जुन सागर और नाथपा घाकड़ी आदि अनेक बाँध बन चुके हैं, जो देश की कृषि को संपन्न बनाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।
देश के अनेक भागों में नहरों का जाल बिछ गया है। किसानों को खेती के लिए ट्रैक्टर, नलकूप और पंपिंग सेट आदि नए-नए संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। वैज्ञानिकों ने नई-से-नई किस्म की खाद और बीज किसानों तक पहुँचाने का सफल प्रयास किया है। अनेक किसान वैज्ञानिक ढंग से खेती करने का प्रशिक्षण भी ले चुके हैं और अपनी बुद्धि तथा परिश्रम के बल पर अधिक-से-अधिक अन्न भी उपजा रहे हैं। स्वतंत्रता के बाद कृषि के लिए किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप ही देश में हरित क्रांति संभव हुई है। इतना सब होने पर भी बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण समस्त कृषि-संबंधी उपलब्धियाँ कम जान पड़ती हैं। कैसी विडंबना है, अन्न उत्पन्न करने वाला खेतिहार ही आज भूखा है। देश के कुछ भागों में तो जनता आज भी भूख के कारण दम तोड़ देती है।
स्वतंत्रता के बाद हमारे देश में यातायात के साधनों का भी बहुत विकास हुआ है। साइकिल, स्कूटर, कार, बस, रेल आदि ने मनुष्य के आवागमन को गति प्रदान की है। देश की सड़कों पर लाखों स्कूटर, कारें और बसें दिन-रात दौड़ती हैं। फिर भी देश की जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है, उस गति से देश में यातायात के संसाधन नहीं बढ़ पा रहे हैं। बसों और रेलगाड़ियों में लोगों को भयंकर भीड़ का सामना करना पड़ता है। नौकरी करने वालों को अनेक बार बसों और रेलगाड़ियों में यात्राएँ खड़े-खड़े ही करनी पड़ती है। विद्यालयों की संख्या भी दिन पर दिन बढ़ रही है, किंतु बढ़ती जनसंख्या के कारण लाखों बच्चों को विद्यालय में प्रवेश ही नहीं मिल पाता । शिक्षित बेरोजगारों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। कोई भी देश जब शिक्षित बेरोज़गार नवयुवकों के लिए रोजगार की व्यवस्था नहीं कर सकता, तो देश में अनेक सामाजिक बुराइयाँ पैदा हो जाती हैं, जो देश के लिए खतरा बन जाती हैं। देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण नागरिकों को रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ जो अन्य छोटी-छोटी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनके कारण देश की प्रगति में बाधा पड़ती है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण ही हम अपने जीवन को सुखी नहीं बना पाते।
जनसंख्या की दृष्टि से आज हमारे देश का स्थान विश्व में दूसरा है। आज हमारे देश की आबादी एक अरब (सौ करोड़) से भी अधिक है। स्वतंत्रता के बाद देश की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ी है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। अत: देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह देश की जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर गंभीरता से विचार करे और ऐसे प्रयत्न करे कि आगे आने वाली पीढ़ियों को कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।
अज्ञान के अंधकार में फँसे हमारे देश के अधिकांश नागरिक अपनी संतान के जीवन-स्तर को ऊँचा नहीं उठा पाते। अज्ञान ही अनेक प्रकार की सामाजिक कुरीतियों को जन्म देता है। गली-सड़ी रूढ़ियों और अंधविश्वासों में फंसे लोग देश के विकास में सहायक नहीं हो सकते । पुत्र प्रप्ति की कामना और बहु-विवाह प्रथा भी जनसंख्या वृद्धि के कारण हैं, जिन्हें समय रहते रोकना होगा।
उपर्युक्त अनेक समस्याओं का मुख्य कारण में बढ़ती जनसंख्या ही है। हमें जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के लिए जन-आंदोलन चलाने होंगे। परिवार नियोजन और परिवार कल्याण कार्यक्रमों को सफल बनाना होगा। बाल-विवाह प्रथाओं को रोकना होगा। सरकार ने देश के प्रत्येक प्रांत में लोगों को अधिकाधिक जानकारी देने के लिए तथा उन्हें जागरूक बनाने के उद्देश्य से अनेक प्रशिक्षण केंद्र खोले हैं। ताकि देश का प्रत्येक नागरिक इस समस्या को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए तैयार हो सके। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए प्रत्येक गाँव में सरकार की ओर से प्रशिक्षित कर्मचारी भी उपलब्ध हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही अनेक योजनाओं से हमारी जनसंख्या वृद्धि दर में कुछ कमी आई है। सरकार को पूरी सफलता तभी प्राप्त हो सकती है, जब सरकारी योजनाओं को जनता का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो।
बढ़ती जनसंख्या के कारण आम आदमी की आय में जो कमी आती जा रही हैं, उसे भी रोकना आवश्यक है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए अब हमें युद्धस्तर पर काम करना होगा। प्रत्येक व्यस्क को इस योजना के प्रति जागरूक करना होगा। शिक्षित युवक और युवतियों को गाँवों, कस्बों और छोटे-बड़े शहरों में जाकर जनता को सचेत करना होगा, तभी हमें सफलता मिल सकेगी।
जनसंख्या वृद्धि आज के युग की सर्वाधिक गंभीर समस्या है। यदि हम अपना, अपने परिवार का, अपने समाज का और देश का कल्याण करना चाहते हैं। तो हमें जनसंख्या वृद्धि के राक्षस से लड़ना होगा। देश के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य भी है और धर्म भी कि वह जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए जी-जान से जुट जाए। आज के युग में यही सच्ची देशभक्ति है।
Essay on Beggary in Hindi
Cashless Economy Essay in Hindi
Female Foeticide Essay in Hindi
Poverty essay in Hindi
Thank you for reading. Don’t forget to give us your feedback.
अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे।
Share this:
- Click to share on Facebook (Opens in new window)
- Click to share on Twitter (Opens in new window)
- Click to share on LinkedIn (Opens in new window)
- Click to share on Pinterest (Opens in new window)
- Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
About The Author
Hindi In Hindi
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Email Address: *
Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
Notify me of follow-up comments by email.
Notify me of new posts by email.
- Cookie Policy
- Google Adsense
- मासिक मैगज़ीन
- इंटरव्यू गाइडेंस
- ऑनलाइन कोर्स
- कक्षा कार्यक्रम
- दृष्टि वेब स्टोर
- नोट्स की सूची
- नोट्स बनाएँ
- माय प्रोफाइल
- माय बुकमार्क्स
- माय प्रोग्रेस
- पासवर्ड बदलें
- संपादक की कलम से
- नई वेबसाइट का लाभ कैसे उठाए?
- डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम
- बिगनर्स के लिये सुझाव
एचीवर्स कॉर्नर
- टॉपर्स कॉपी
- टॉपर्स इंटरव्यू
हमारे बारे में
- सामान्य परिचय
- 'दृष्टि द विज़न' संस्थान
- दृष्टि पब्लिकेशन
- दृष्टि मीडिया
- प्रबंध निदेशक
- इंफ्रास्ट्रक्चर
- प्रारंभिक परीक्षा
- प्रिलिम्स विश्लेषण
- 60 Steps To Prelims
- प्रिलिम्स रिफ्रेशर प्रोग्राम 2020
- डेली एडिटोरियल टेस्ट
- डेली करेंट टेस्ट
- साप्ताहिक रिवीज़न
- एन. सी. ई. आर. टी. टेस्ट
- आर्थिक सर्वेक्षण टेस्ट
- सीसैट टेस्ट
- सामान्य अध्ययन टेस्ट
- योजना एवं कुरुक्षेत्र टेस्ट
- डाउन टू अर्थ टेस्ट
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी टेस्ट
- सामान्य अध्ययन (प्रारंभिक परीक्षा)
- सीसैट (प्रारंभिक परीक्षा)
- मुख्य परीक्षा (वर्षवार)
- मुख्य परीक्षा (विषयानुसार)
- 2018 प्रारंभिक परीक्षा
- टेस्ट सीरीज़ के लिये नामांकन
- फ्री मॉक टेस्ट
- मुख्य परीक्षा
- मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न
- निबंध उपयोगी उद्धरण
- टॉपर्स के निबंध
- साप्ताहिक निबंध प्रतियोगिता
- सामान्य अध्ययन
- हिंदी साहित्य
- दर्शनशास्त्र
- हिंदी अनिवार्य
- Be Mains Ready
- 'AWAKE' : मुख्य परीक्षा-2020
- ऑल इंडिया टेस्ट सीरीज़ (यू.पी.एस.सी.)
- मेन्स टेस्ट सीरीज़ (यू.पी.)
- उत्तर प्रदेश
- मध्य प्रदेश
टेस्ट सीरीज़
- UPSC प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़
- UPSC मेन्स टेस्ट सीरीज़
- UPPCS प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़
- UPPCS मेन्स टेस्ट सीरीज़
करेंट अफेयर्स
- डेली न्यूज़, एडिटोरियल और प्रिलिम्स फैक्ट
- डेली अपडेट्स के लिये सबस्क्राइब करें
- संसद टीवी संवाद
- आर्थिक सर्वेक्षण
दृष्टि स्पेशल्स
- चर्चित मुद्दे
- महत्त्वपूर्ण संस्थान/संगठन
- मैप के माध्यम से अध्ययन
- महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट्स की जिस्ट
- पीआरएस कैप्सूल्स
- एनसीईआरटी बुक्स
- एनआईओएस स्टडी मैटिरियल
- इग्नू स्टडी मैटिरियल
- योजना और कुरुक्षेत्र
- इन्फोग्राफिक्स
- मासिक करेंट अपडेट्स संग्रह
वीडियो सेक्शन
- मेन्स (जी.एस.) डिस्कशन
- मेन्स (ओप्शनल) डिस्कशन
- करेंट न्यूज़ बुलेटिन
- मॉक इंटरव्यू
- टॉपर्स व्यू
- सरकारी योजनाएँ
- ऑडियो आर्टिकल्स
- उत्तर लेखन की रणनीति
- कॉन्सेप्ट टॉक : डॉ. विकास दिव्यकीर्ति
- दृष्टि आईएएस के बारे में जानें
सिविल सेवा परीक्षा
- परीक्षा का प्रारूप
- सिविल सेवा ही क्यों?
- सिविल सेवा परीक्षा के विषय में मिथक
- वैकल्पिक विषय
- परीक्षा विज्ञप्ति
- डेली अपडेट्स
भारतीय समाज
Make Your Note
जनसंख्या वृद्धि: समस्या और समाधान
- 22 Aug 2019
- 24 min read
- सामान्य अध्ययन-I
- जनसंख्या और संबद्ध मुद्दे
- मानव संसाधन
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line तथा Business Today आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस आलेख में जनसंख्या वृद्धि तथा इससे संबंधित विभिन्न मुद्दों की चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने भारत में तेज़ी से बढ़ रही जनसंख्या पर चिंता व्यक्त की तथा इसको नियंत्रित करने की बात कही है। इससे कुछ समय पूर्व ही बजट सत्र में एक नामांकित संसद सदस्य द्वारा जनसंख्या को नियंत्रित करने हेतु जनसंख्या नियंत्रण विधेयक, 2019 राज्यसभा में प्रस्तुत किया। निजी विधेयक होने के कारण यह संसद में पारित तो नहीं हो सका किंतु प्रधानमंत्री के संबोधन के पश्चात् इस मुद्दे पर दोबारा चर्चा की जाने लगी है। इस विधेयक में दो बच्चों के जन्म का प्रावधान किया गया है। दो से अधिक बच्चों वाले जनप्रतिनिधि को अयोग्य निर्धारित किया जाएगा, साथ ही सरकारी कर्मचारियों को भी दो से अधिक बच्चे पैदा न करने का शपथ पत्र देना होगा। हालाँकि ऐसे कर्मचारी जिनके पहले से ही दो से अधिक बच्चे हैं उनको इस प्रावधान से छूट दी गई है। इसके अतिरिक्त नागरिकों को दो बच्चों की नीति को अपनाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये विभिन्न विनियमों की भी बात इस विधेयक में की गई है।
जनसंख्या नियंत्रण- तर्काधार
किसी भी देश में जब जनसंख्या विस्फोटक स्थिति में पहुँच जाती है तो संसाधनों के साथ उसकी ग़ैर-अनुपातित वृद्धि होने लगती है, इसलिये इसमें स्थिरता लाना ज़रूरी होता है। संसाधन एक बहुत महत्त्वपूर्ण घटक है। भारत में विकास की गति की अपेक्षा जनसंख्या वृद्धि दर अधिक है। संसाधनों के साथ क्षेत्रीय असंतुलन भी तेज़ी से बढ़ रहा है। दक्षिण भारत कुल प्रजनन क्षमता दर यानी प्रजनन अवस्था में एक महिला कितने बच्चों को जन्म दे सकती है, में यह दर क़रीब 2.1 है जिसे स्थिरता दर माना जाता है। लेकिन इसके विपरीत उत्तर भारत और पूर्वी भारत, जिसमें बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा जैसे राज्य हैं, इनमें कुल प्रजनन क्षमता दर चार से ज़्यादा है। यह भारत के भीतर एक क्षेत्रीय असंतुलन पैदा करता है। जब किसी भाग में विकास कम हो और जनसंख्या अधिक हो, तो ऐसे स्थान से लोग रोज़गार तथा आजीविका की तलाश में अन्य स्थानों पर प्रवास करते हैं। किंतु संसाधनों की सीमितता तथा जनसंख्या की अधिकता तनाव उत्पन्न करती है, विभिन्न क्षेत्रों में उपजा क्षेत्रवाद कहीं न कहीं संसाधनों के लिये संघर्ष से जुड़ा हुआ है।
माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत
ब्रिटिश अर्थशास्त्री माल्थस ने ‘प्रिंसपल ऑफ पॉपुलेशन’ में जनसंख्या वृद्धि और इसके प्रभावों की व्याख्या की है। माल्थस के अनुसार, ‘जनसंख्या दोगुनी रफ्तार (1, 2, 4, 8, 16, 32) से बढ़ती है, जबकि संसाधनों में सामान्य गति (1, 2, 3, 4, 5) से ही वृद्धि होती है। परिणामतः प्रत्येक 25 वर्ष बाद जनसंख्या दोगुनी हो जाती है। हालाँकि माल्थस के विचारों से शब्दशः सहमत नहीं हुआ जा सकता किंतु यह सत्य है कि जनसंख्या की वृद्धि दर संसाधनों की वृद्धि दर से अधिक होती है। भूमिकर सिद्धांत के जन्मदाता डेविड रिकार्डो तथा जनसंख्या और संसाधनों के समन्वय पर थामस सैडलर, हरबर्ट स्पेंसर ने भी जनसंख्या वृद्धि पर गंभीर विचार व्यक्त किये हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19: अलग दृष्टिकोण
आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में कहा गया है कि भारत में पिछले कुछ दशकों में जनसंख्या वृद्धि की गति धीमी हुई है। वर्ष 1971-81 के मध्य वार्षिक वृद्धि दर जहाँ 2.5 प्रतिशत थी वह वर्ष 2011-16 में घटकर 1.3 प्रतिशत पर आ गई है। आर्थिक सर्वेक्षण में जनसांख्यिकीय के ट्रेंड की चर्चा करते हुए यह रेखांकित किया गया है कि बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान तथा हरियाणा जैसे राज्य जहाँ एतिहासिक रूप से जनसंख्या वृद्धि दर अधिक रही है, में भी जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट आई है। दक्षिण भारत के राज्यों तथा पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, ओडिशा, असम तथा हिमाचल प्रदेश में वार्षिक वृद्धि दर 1 प्रतिशत से भी कम है। सर्वेक्षण के अनुसार, आने वाले दो दशकों में भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में तीव्र गिरावट की संभावना है, साथ ही कुछ राज्य वर्ष 2030 तक वृद्ध समाज की स्थिति की ओर बढ़ने शुरू हो जाएंगे। आर्थिक सर्वेक्षण न सिर्फ जनसंख्या नियंत्रण को लेकर आशावादी रवैया रखता है बल्कि भारत में नीति निर्माण का फोकस भविष्य में बढ़ने वाली वृद्धों की संख्या की ओर करने का सुझाव देता है।
जनसांख्यिकीय लाभांश या जनसांख्यिकीय अभिशाप
किसी देश में युवा तथा कार्यशील जनसंख्या की अधिकता तथा उससे होने वाले आर्थिक लाभ को जनसांख्यिकीय लाभांश के रूप में देखा जाता है। भारत में मौजूदा समय में विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या युवाओं की है यदि इस आबादी का उपयोग भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने में किया जाए तो यह भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश प्रदान करेगा। किंतु यदि शिक्षा गुणवत्ता परक न हो, रोज़गार के अवसर सीमित हों, स्वास्थ्य एवं आर्थिक सुरक्षा के साधन उपलब्ध न हों तो बड़ी कार्यशील आबादी एक अभिशाप का रूप धारण कर सकती है। अतः विभिन्न देश अपने संसाधनों के अनुपात में ही जनसंख्या वृद्धि पर बल देते हैं। भारत में वर्तमान स्थिति में युवा एवं कार्यशील जनसंख्या अत्यधिक है किंतु उसके लिये रोज़गार के सीमित अवसर ही उपलब्ध हैं। ऐसे में यदि जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित न किया गया तो स्थिति भयावह हो सकती है। इसी संदर्भ में हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने जनसंख्या नियंत्रण की बात कही है।
2025 तक चीन से आगे निकल जाएगा भारत
पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामले विभाग के जनसंख्या प्रकोष्ठ (Department of Economic and Social Affairs’ Population Division) ने The World Population Prospects: The 2017 Revision रिपोर्ट जारी की थी। इसमें अनुमान लगाया गया है कि भारत की आबादी लगभग सात वर्षों में चीन से अधिक हो जाएगी।
- भारत को इस समस्या के सबसे भीषण रूप का सामना करना है। चीन अभी आबादी में हमसे आगे है तो क्षेत्रफल में भी काफी बड़ा है। फिलहाल भारत की जनसंख्या 1.3 अरब और चीन की 1.4 अरब है।
- दोनों देशों के क्षेत्रफल में तो कोई बदलाव नहीं हो सकता पर जनसंख्या के मामले में भारत सात वर्षों बाद चीन को पीछे छोड़ देगा।
- इसके बाद भारत की आबादी वर्ष 2030 में करीब 1.5 अरब हो जाएगी और कई दशकों तक बढ़ती रहेगी। वर्ष 2050 में इसके 1.66 अरब तक पहुँचने का अनुमान है, जबकि चीन की आबादी 2030 तक स्थिर रहने के बाद धीमी गति से कम होनी शुरू हो जाएगी।
- वर्ष 2050 के बाद भारत की आबादी की रफ्तार स्थिर होने की संभावना है और वर्ष 2100 तक यह 1.5 अरब हो सकती है।
- पिछले चार दशकों में 1975-80 के 4.7 प्रतिशत से लगभग आधी कम होकर भारतीयों की प्रजनन दर 2015-20 में 2.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2025-30 तक इसके 2.1 प्रतिशत और 2045-50 तक 1.78 प्रतिशत तथा 2095-2100 के बीच 1.78 प्रतिशत रहने की संभावना है।
बढ़ती आबादी की प्रमुख चुनौतियाँ
- स्थिर जनसंख्या: स्थिर जनसंख्या वृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये यह आवश्यक है कि सर्वप्रथम प्रजनन दर में कमी की जाए। यह बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में काफी अधिक है, जो एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
- जीवन की गुणवत्ता: नागरिकों को न्यूनतम जीवन गुणवत्ता प्रदान करने के लिये शिक्षा और स्वास्थ्य प्रणाली के विकास पर निवेश करना होगा, अनाजों एवं खाद्यान्नों का अधिक-से-अधिक उत्पादन करना होगा, लोगों को रहने के लिये घर देना होगा, स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति बढ़ानी होगी एवं सड़क, परिवहन और विद्युत उत्पादन तथा वितरण जैसे बुनियादी ढाँचे को मज़बूत बनाने पर काम करना होगा।
- नागरिकों की मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने और बढ़ती आबादी को सामाजिक बुनियादी ढाँचा प्रदान करके समायोजित करने के लिये भारत को अधिक खर्च करने की आवश्यकता है तथा इसके लिये भारत को सभी संभावित माध्यमों से अपने संसाधन बढ़ाने होंगे।
- जनसांख्यिकीय विभाजन: बढ़ती जनसंख्या का लाभ उठाने के लिये भारत को मानव पूंजी का मज़बूत आधार बनाना होगा ताकि वे लोग देश की अर्थव्यवस्था में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकें, लेकिन भारत की कम साक्षरता दर (लगभग 74 प्रतिशत) इस मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है।
- सतत् शहरी विकास: वर्ष 2050 तक देश की शहरी आबादी दोगुनी हो जाएगी, जिसके चलते शहरी सुविधाओं में सुधार और सभी को आवास उपलब्ध कराने की चुनौती होगी, साथ ही पर्यावरण को भी मद्देनज़र रखना ज़रूरी होगा।
- असमान आय वितरण : आय का असमान वितरण और लोगों के बीच बढ़ती असमानता अत्यधिक जनसंख्या के नकारात्मक परिणामों के रूप में सामने आएगी।
गरीबी तथा जनसंख्या वृद्धि में महत्त्वपूर्ण संबंध
परिवार का स्वास्थ्य, बाल उत्तरजीविता और बच्चों की संख्या आदि माता-पिता (विशेषकर माता) के स्वास्थ्य और शिक्षा के स्तर से गहराई से संबद्ध हैं। इस प्रकार कोई दंपति जितना निर्धन होगा, उसमें उतने अधिक बच्चों को जन्म देने की प्रवृत्ति होगी। इस प्रवृत्ति का संबंध लोगों को उपलब्ध अवसरों, विकल्पों और सेवाओं से है। गरीब लोगों में अधिक बच्चों को जन्म देने की प्रवृत्ति इसलिये होती है क्योंकि इस वर्ग में बाल उत्तरजीविता निम्न है, पुत्र प्राप्ति की इच्छा हमेशा से उच्च बनी रही है, बच्चे आर्थिक गतिविधियों में सहयोग देते हैं और इस प्रकार परिवार की आर्थिक और भावनात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण - 4 (2015-16) के अनुसार, न्यूनतम वेल्थ क्विंटिल (Wealth Quintile) की महिलाओं के उच्चतम वेल्थ क्विंटिल की महिलाओं की उपेक्षा औसतन 1.6 गुना अधिक बच्चे पाए जाते हैं। इस प्रकार समृद्धतम से निर्धनतम की ओर बढने पर 1.5 के स्थान पर 3.2 की प्रजनन दर पाई जाती है। इसी प्रकार प्रति महिला बच्चों की संख्या महिलाओं की विद्यालयी शिक्षा के स्तर में वृद्धि के साथ घटती जाती है। 12 या उससे अधिक वर्षों तक विद्यालयी शिक्षा प्राप्त महिलाओं के औसतन 1.7 बच्चों की तुलना में विद्यालय नहीं गई महिलाओं में बच्चों की औसत दर 3.1 रही। इससे उजागर होता है कि स्वास्थ्य, शिक्षा और असमानता का प्रजनन दर से गहरा संबंध है तथा स्वास्थ्य व शिक्षा तक कम पहुँच रखने वाले लोग निर्धनता के कुचक्र में फँसे रहते हैं और अधिकाधिक बच्चों को जन्म देते हैं। नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण ने खुलासा किया है कि उच्च जनसंख्या वृद्धि वाले राज्यों में ही प्रति व्यक्ति अस्पताल बिस्तरों की न्यूनतम उपलब्धता की भी स्थिति है।
जनसंख्या नियंत्रण- उपाय
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुमान के बावजूद भारत की बढ़ती जनसंख्या एक सच्चाई है, जो वर्ष 2030 तक चीन से भी अधिक हो जाएगी। जनसंख्या में तीव्र वृद्धि विभिन्न नकारात्मक परिणाम उत्पन्न करते हैं। इन परिणामों को रोकने के लिये आवश्यक है कि जनसंख्या को नियंत्रित करके वृद्धि दर को स्थिर किया जाए। निम्नलिखित उपायों से जनसंख्या की तीव्र वृद्धि दर को रोका जा सकता है-
- आयु की एक निश्चित अवधि में मनुष्य की प्रजनन दर अधिक होती है। यदि विवाह की आयु में वृद्धि की जाए तो बच्चों की जन्म दर को नियंत्रित किया जा सकता है।
- महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार तथा उन्हें निर्णय प्रक्रिया में शामिल करना।
- शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार तथा लोगों के अधिक बच्चों को जन्म देने के दृष्टिकोण को परिवर्तित करना।
- भारत में अनाथ बच्चों की संख्या अधिक है तथा ऐसे परिवार भी हैं जो बच्चों को जन्म देने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे परिवारों को बच्चे गोद लेने के लिये प्रोत्साहित करना, साथ ही अन्य परिवारों को भी बच्चों को गोद लेने के लिये प्रेरित करना। इस प्रकार से न सिर्फ अनाथ बच्चों की स्थिति में सुधार होगा बल्कि जनसंख्या को भी नियंत्रित किया जा सकेगा।
- भारत में विभिन्न कारकों के चलते पुत्र प्राप्ति को आवश्यक माना जाता है तथा पुत्री के जन्म को हतोत्साहित किया जाता है। यदि लैंगिक भेदभाव को समाप्त किया जाता है तो पुत्र की चाहत में अधिक-से-अधिक बच्चों को जन्म देने की प्रवृत्ति को रोका जा सकता है।
- भारतीय समाज में किसी भी दंपत्ति के लिये संतान प्राप्ति आवश्यक समझा जाता है तथा इसके बिना दंपत्ति को हेय दृष्टि से देखा जाता है, यदि इस सोच में बदलाव किया जाता है तो यह जनसंख्या में कमी करने में सहायक होगा।
- सामाजिक सुरक्षा तथा वृद्धावस्था में सहारे के रूप में बच्चों का होना आवश्यक माना जाता है। किंतु मौजूदा समय में विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं सुविधाओं के कारण इस विचार में बदलाव आया है। यह कारक भी जनसंख्या नियंत्रण में उपयोगी हो सकता है।
- परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाकर तथा उनके जीवन स्तर को ऊँचा उठाकर जनसंख्या वृद्धि को कम किया जा सकता है। प्रायः ऐसा देखा गया है कि उच्च जीवन स्तर वाले लोग छोटे परिवार को प्राथमिकता देते हैं।
- भारत में शहरीकरण जनसंख्या वृद्धि के साथ व्यूत्क्रमानुपातिक रूप से संबंधित माना जाता है। यदि शहरीकरण को बढ़ावा दिया जाता है तो निश्चित रूप से यह जनसंख्या नियंत्रण में उपयोगी साबित होगा।
- भारत में जनसंख्या वृद्धि दर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है, इसका प्रमुख कारण परिवार नियोजन के बारे में लोगों में जागरूकता का अभाव है। यदि नियोजन द्वारा बच्चों को जन्म दिया जाए तो यह जनसंख्या नियंत्रण का सबसे कारगर साधन हो सकता है।
- भारत में अभी भी एक बड़ी जनसंख्या शिक्षा से दूर है इसलिये परिवार नियोजन के लाभों से अवगत नहीं है। विभिन्न संचार माध्यमों जैसे- टेलीविज़न, रेडियो, समाचार पत्र आदि के माध्यम से लोगों में विशेषकर ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्रों में जागरूकता लाने का प्रयास करना चाहिये।
- सरकार को ऐसे लोगों को विभिन्न माध्यमों से प्रोत्साहन देने का प्रयास करना चाहिये जो परिवार नियोजन पर ध्यान देते हैं तथा छोटे परिवार को प्राथमिकता देते हैं।
जनसंख्या नियंत्रण के बजाय जनसंख्या समर्थन
भारत ने जनसंख्या को किसी समस्या और उस पर नियंत्रण के संदर्भ में नहीं देखा है बल्कि एक संपन्न संसाधन के रूप में देखा है जो एक विकास करती अर्थव्यवस्था की जीवन शक्ति है। इसे समस्या और नियंत्रण की शब्दावली में देखना और इस दृष्टिकोण से कार्रवाई करना राष्ट्र के लिये अनुकूल कदम नहीं होगा। यह दृष्टिकोण अब तक कि प्रगति को बाधित कर देगा और एक कमज़ोर व बदतर स्वास्थ्य वितरण प्रणाली के लिये ज़मीन तैयार करेगा। यह परिदृश्य उस उद्देश्य के विपरीत होगा जिसे आयुष्मान भारत जैसे कार्यक्रम के माध्यम से प्राप्त करने की इच्छा है। वर्तमान में 23 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों (दक्षिण भारत के सभी राज्य सहित) में प्रजनन दर पहले ही प्रति महिला 2.1 बच्चों के प्रतिस्थापन स्तर के नीचे पहुँच चुकी है। इस प्रकार नियंत्रण के बजाय समर्थन की नीति अधिक कारगर होगी।
अतीत से सबक
स्वतंत्र भारत में दुनिया का सबसे पहला जनसंख्या नियंत्रण हेतु राजकीय अभियान वर्ष 1951 में आरंभ किया गया। किंतु इससे सफलता नहीं मिल सकी। वर्ष 1975 के आपातकाल के दौरान बड़े स्तर पर जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास किये गए। इन प्रयासों में कई अमानवीय तरीकों का उपयोग किया गया। इससे न सिर्फ यह कार्यक्रम असफल हुआ बल्कि लोगों में नियोजन और उसकी पद्धति को लेकर भय का माहौल उत्पन्न हो गया जिससे कई वर्षों तक जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों में बाधा उत्पन्न हुई।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी 121 करोड़ थी तथा अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्तमान में यह 130 करोड़ को भी पार कर चुकी है, साथ ही वर्ष 2030 तक भारत की आबादी चीन से भी ज़्यादा होने का अनुमान है। ऐसे में भारत के समक्ष तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या एक बड़ी चुनौती है क्योंकि जनसंख्या के अनुपात में संसाधनों की वृद्धि सीमित है। इस स्थिति में जनसांख्यिकीय लाभांश जनसांख्यिकीय अभिशाप में बदलता जा रहा है। इसी स्थिति को संबोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस समस्या को दोहराया है। हालाँकि जनसंख्या वृद्धि ने कई चुनौतियों को जन्म दिया है किंतु इसके नियंत्रण के लिये क़ानूनी तरीका एक उपयुक्त कदम नहीं माना जा सकता। भारत की स्थिति चीन से पृथक है तथा चीन के विपरीत भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ हर किसी को अपने व्यक्तिगत जीवन के विषय में निर्णय लेने का अधिकार है। भारत में कानून का सहारा लेने के बजाय जागरूकता अभियान, शिक्षा के स्तर को बढ़ाकर तथा गरीबी को समाप्त करने जैसे उपाय करके जनसंख्या नियंत्रण के लिये प्रयास करने चाहिये। परिवार नियोजन से जुड़े परिवारों को आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिये तथा ऐसे परिवार जिन्होंने परिवार नियोजन को नहीं अपनाया है उन्हें विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से परिवार नियोजन हेतु प्रेरित करना चाहिये।
प्रश्न: क्या आप इस कथन से सहमत हैं कि भारत में तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या जनसांख्यिकीय लाभांश के स्थान पर जनसांख्यिकीय अभिशाप बनती जा रही है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिये।
Hindi Essay on “Jansankhya ki Samasya aur Samadhan”, “जनसंख्या की समस्या और समाधान”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.
जनसंख्या की समस्या और समाधान
Jansankhya ki Samasya aur Samadhan
हमारे देश में विभिन्न प्रकार की समस्या सिर उठाती रही है। मूल्यवृद्धि की ” समस्या, जाति-प्रथा की समस्या, दहेज-प्रथा की समस्या, सती प्रथा की समस्या, – बेरोजगारी की समस्या, बाल-विवाह की समस्या, क्षेत्रवाद-सम्प्रदायवाद की समस्या,भाई-भतीजावाद की समस्या, निर्धनता की समस्या आदि अनेक समस्याओं ने हमारे देश की विकास की गति में टांगें अड़ा दी हैं। इन सभी समस्याओं में जनसंख्या की समस्या सबसे अधिक दुःखद और चिन्ताजनक है।
भारत में जनसंख्या की समस्या सबसे विकट समस्या है। इस समस्या का विकट रूप तव और बढ़ता हुआ दिखाई देता है; जब हम इसकी इस प्रकार की तीव्र गति देखते हैं कि यह दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ती जा रही है। यह इतनी तीव्र गति से बढ़ती जा रही है कि अब जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व का दूसरा देश हो गया है। अभी तक तो चीन विश्व का सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है, लेकिन भारत की जनसंख्या जितनी तेजी से बढ़ती जा रही है उसे देखते । हुए यह कुछ ही वर्षों में चीन की जनसंख्या के बराबर हो जाएगी। कुछ वर्षों के बाद यह चीन से भी अधिक हो जायेगी।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार सन् 1941 में भारत की जनसंख्या 31 करोड़ 90 लाख थी, जो आँधी की तरह बढ़ने के कारण सन् 1981 में 68 करोड़ 50 लाख हो गई। सन् 1990 में भारत की जनसंख्या 80 करोड़ के
आस-पस है। इन आँकड़ों के आधार पर यह अनुमान किया जा रहा है कि यदि जनसंख्या वृद्धि की यही गति रही, तो सन् 2000 ई. तक भारत की जनसंख्या 100 करोड़ हो जाएगी। इस प्रकार से हम देखते हैं कि भारत की जनसंख्या पिछले चार दशकों में दुगुनी हुई है। हमारे देश में जनसंख्या की वृद्धि के कई कराण हैं। पहला कारण है कि हमारे देश में बाल-विवाह अथवा अल्पायु विवाह की परम्परा है। औसतन 14 वर्ष की अल्पायु में ही विवाह के बन्धन में हर किशोर-किशोरी को बंध जाना पड़ता है। युवावस्था के आते-आते प्रजनन-शक्ति का विस्तार और अधिक तीव्र हो जाता है। परिणामस्वरूप संतान की अधिकता होती ही जाती है और इस प्रकार जनसंख्या में वृद्धि हो जाती है।
जनसंख्या-वृद्धि का एक कारण यह भी है कि हमारे देश की जलवायु भी कुछ ऐसी विशेषता है, जिसमें प्रजनन-शक्ति की अधिकता है। जलवायु की ऐसी विशेषता में एक विशेषता यह भी है कि यहाँ लड़कों की तुलना में लड़कियाँ तो सर्वप्रथम परिपक्व हो जाती हैं। इसके साथ-ही-साथ इस जलवायु की यह भी विशेषता है कि लड़कियों की ही पैदाइश अधिक होती है। भारतवासियों की एक यह भी विशेषता होती है कि उनको एक पुत्र अवश्य होना चाहिए, जो उनका उत्तराधिकारी के साथ-साथ वंश-वृद्धि का आधार बनते हुए श्राद्ध-पिण्डदान करने के लिए भी उपयुक्त सिद्ध हो सके। इस प्रकार पुत्र-प्राप्ति के प्रयास में लड़कियों की वृद्धि होते रहने से भी जनसंख्या की बाढ़ में कोई रुकावट नहीं होती है।
जनसंख्या-वृद्धि के अन्य कारणों में निर्धनता, बेरोजगारी, अशिक्षा, रूढ़िवादिता, अंधविश्वास, हीन-भावना, संकीर्ण-विचार, अज्ञानता आदि हैं।
जनसंख्या वृद्धि होने के कारणों में एक कारण यह भी है कि हमारे देश में जन्मदर की वृद्धि हुई है और मृत्युदर में कमी आई है। महामारी, बाढ़, जानलेवा रोग, महारोग, खाद्य समस्या आदि दैवी आपदाओं को लगभग नियंत्रित कर लिया गया है। इससे मत्य की विभीषिका का भय अथवा खतरा लगभग अब टल-स गया है। अब जनसंख्या आकाश बेल की तरह बेरोकटोक और बिना परवाह किए बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य नियमों के पालन से संतानोत्पन्न करने की क्षमता और शक्ति सहित अभिरुचि और वांछानीय घटना भी जनसंख्या की बढ़ोत्तरी के लिए विशेष सम्बन्ध है। संतान उत्पन्न होने से पहले स्वस्थ्य-संतान के लिए सहायक और उचित पौष्टिक आहारों के सुझाव और स्वस्थ्य संतान को उत्पन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार की दवाइयों सहित चिकित्सा की अन्य सुविधाओं की उपलब्धि भी जनसंख्या वृद्धि के आधारभूत तत्त्व हैं।
बढ़ती हुई जनसंख्या पर अंकुश लगानी नितान्त आवश्यक हो गया है; क्योंकि इससे हमारा चतुर्विक विकास अभावग्रस्त जीवन जीने से नहीं हो पा रहा है। जनसंख्या की बाढ़ को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि चिकित्सकों के परामर्श के अनुसार हम परिवार नियोजन के कार्यक्रमों को यथासंभव अवश्य अपनाएँ। बेरोजगारी, अशिक्षा, निर्धनता, अंधविश्वास, परम्परावादी दृष्टिकोण, नशाबंदी, रूढ़िवादिता, हीन-भावना, अज्ञानता, संकीर्ण मनोवृत्ति आदि का परित्याग करने से जनसंख्या की वृद्धि को काबू में किया जा सकता है। जनसंख्या को काबू में कर लेने से ही हमारा जन-मानस जीवन को अभावों से उबर कर संतुष्ट जीवन जी सकेगा।
Related Posts
Absolute-Study
Hindi Essay, English Essay, Punjabi Essay, Biography, General Knowledge, Ielts Essay, Social Issues Essay, Letter Writing in Hindi, English and Punjabi, Moral Stories in Hindi, English and Punjabi.
Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
Badhti Jansankhya Essay In Hindi | Essay on Population Growth in Hindi
Read this article in Hindi to learn about:- 1. जनसंख्या का परिचय (Introduction to Population) 2. जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण (Population Growth and Its Distribution) 3. क्रम पर प्रभाव (Impact on Ecosystem) 4. भारतीय परिदृश्य (Indian Scenario).
जनसंख्या का परिचय (Introduction to Population):
पारिस्थितिकविदों के अनुसार जनसंख्या से तात्पर्य समान प्रकार के जीवों का सामूहिक समूह है जो एक निश्चित स्थान पर रहता है । अर्थात् प्रत्येक जीव चाहे वह जीव-जंतु हो, पक्षी हो, वनस्पति हो, सभी की संख्या होती है और यह संख्या पारिस्थितिक चक्र द्वारा परिचालित होती है तथा उस चक्र को प्रभावित करती है ।
वनस्पति एवं जंतुओं की संख्या एवं पारिस्थितिकी से संबंधों का अध्ययन वनस्पति विज्ञान, जीव विज्ञान एवं पारिस्थितिकी विज्ञान में विशदता से किया जाता है । जनसंख्या से तात्पर्य मानवीय जनसंख्या से है जो अपने क्रिया-कलापों से पर्यावरण को प्रभावित करती है और पारिस्थितिक चक्र में व्यवधान उपस्थित कर संकट का कारण बनती है ।
जनसंख्या का निवास एवं वृद्धि पर्यावरण की परिस्थितियों पर निर्भर करता है । आज भी विश्व में अंटार्कटिका जैसा प्रदेश है जहाँ वर्ष भर हिमानी के जमाव के कारण मानव का निवास नहीं है, उच्च पर्वतीय क्षेत्र भी मानव रहित हैं ।
टुंड्रा प्रदेश की विपरीत परिस्थितियाँ एवं विषुवत्रेखीय वन न्यूनातिन्यून जनसंख्या के क्षेत्र हैं । शुष्क मरुस्थली क्षेत्रों में भी अपेक्षाकृत कम जनसंख्या है तो दूसरी ओर समतल मैदानी प्रदेश जहाँ उपयुक्त जलवायु है मानव संख्या का वहाँ केन्द्रीकरण है ।
तात्पर्य यह है कि जनसंख्या पर्यावरण के तत्वों द्वारा नियंत्रित है । तकनीकी विकास एवं वैज्ञानिक उपलब्धियां से मानव अनेक क्षेत्रों को अपने रहने योग्य बना लेता है । इसी क्रम में जब वह पर्यावरण से छेड़-छाड़ करता है तो वहाँ की पारिस्थितिकी को प्रभावित करता है जिससे अनेक समस्याओं का जन्म होता है ।
जनसंख्या का पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी से सीधा संबंध होता है अर्थात यदि जनसंख्या अधिक होगी तो पर्यावरण का अधिक शोषण होगा और पारिस्थितिक- संकट अधिक हानिकारक होंगे । इस तथ्य की विस्तार से विवेचना से पूर्व जनसंख्या वृद्धि, वितरण, शहरीकरण आदि तथ्यों का विवेचन आवश्यक है ।
जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण (Population Growth and Its Distribution):
मानव के अस्तित्व में आने के पश्चात् उसकी संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है । प्रारंभ में निश्चित ही जनसंख्या सीमित थी एवं उपयुक्त क्षेत्रों में निवास करती थी, किंतु उसकी क्रमिक वृद्धि आज एक ऐसे बिंदु पर पहुँच गई है कि वह अनेक राष्ट्रों के लिये चिंता का कारण बनी हुई है ।
किसी भी प्रदेश की जनसंख्या वृद्धि वहाँ की जन्म और मृत्यु दर के अंतर से जानी जाती है । यदि जन्म दर अधिक और मृत्यु दर कम होगी तो जनसंख्या की तीव्र वृद्धि होगी । इसके विपरीत यदि दोनों में आनुपातिक संबंध होगा तो वृद्धि सामान्य होगी एवं यदि जन्म से मृत्यु दर अधिक हो जाती है तो जनसंख्या में कमी आ जाती है ।
ADVERTISEMENTS:
एक प्रदेश अथवा देश में समय के साथ जो जनसंख्या वृद्धि का प्रारूप चलता है उसे नौरिस हैरिस एवं विटेक ने अपनी पुस्तक- ‘Geography : An Introductory Perspective’ में जनसांख्यिकीय संक्रमण का नाम दिया इसकी चार अवस्थायें व्यक्त की हैं । प्रथम अवस्था में जन्म और मृत्यु दर दोनों अधिक होती हैं अत: जनसंख्या वृद्धि नहीं होती या नगण्य होती है । इस अवस्था में वर्तमान में कोई देश नहीं है, यह मात्र इतिहास का उदाहरण है ।
द्वितीय अवस्था वाले देशों में जन्म दर अधिक होती है और मृत्यु दर घटती है, फलस्वरूप तेजी से जनसंख्या वृद्धि होती है जैसा कि भारत, बोलिवीया, सऊदी अरब आदि में है । तृतीय अवस्था वाले देशों में मंद वृद्धि अर्थात् जन्म दर कम होने की प्रवृत्ति तथा मृत्युदर भी कम होती है जैसा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में हैं ।
चतुर्थ अवस्था वाले देशों में स्थिर जनसंख्या अर्थात् जन्म एवं मृत्यु दर दोनों ही कम होने से वास्तविक वृद्धि कम होती है जैसा कि स्वीडन, ग्रेट ब्रिटेन एवं अन्य यूरोपीय देशों में है । संपूर्ण विश्व में जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्ति है । यह वृद्धि विगत 45 वर्षों में और तीव्र है । स्पष्ट है कि विश्व की जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है । प्रति सैकण्ड में दुनिया में 117 शिशुओं का जन्म होता है और लगभग 46 व्यक्तियों की मृत्यु अर्थात् वास्तविक वृद्धि 71 की होती है ।
दूसरे शब्दों में प्रतिदिन 200,000 व्यक्तियों की या प्रतिवर्ष 7.5 करोड़ जनसंख्या अधिक हो जाती है । यदि यही क्रम चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब न खाने के लिये पर्याप्त भोजन होगा, न रहने को आवास और यह स्थिति निस्संदेह संपूर्ण विश्व के पारिस्थितिक-तंत्र को झकझोर कर रख देगी ।
विश्व जनसंख्या की एक अन्य महत्वपूर्ण प्रवृत्ति है सीमित प्रदेशों में जनसंख्या का जमाव अर्थात् जहाँ भी उपयुक्त पर्यावरण होता है वहीं जनसंख्या का केन्द्रीकरण होने लगता है । वर्ष 2011 में विश्व की कुल जनसंख्या 7,167,705,600 अंकित की गई है ।
विभिन्न महाद्वीपों की जनसंख्या तालिका 9.2 के अनुसार निम्न प्रकार से रही :
जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Population Explosion Essay in Hindi)
जनसंख्या न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर के ज्वलंत मुद्दों में से एक है। दुनिया में कुछ ऐसे स्थान हैं जहाँ अत्यधिक जनसँख्या हैं। जनसंख्या विस्फोट का अर्थ है किसी विशेष क्षेत्र में मनुष्यों की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि। यह या तो किसी शहर में या फिर किसी भी देश में हो सकता है।
जनसंख्या विस्फोट पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Population Explosion in Hindi, Jansankhya Visfot par nibandh Hindi mein)
जनसंख्या विस्फोट पर निबंध 1 (250 – 300 शब्द).
जब हमारे परिवार में एक बच्चा पैदा होता है, तो हम बहुत ख़ुशी महसूस करते हैं और हम इस अवसर को मनातेहैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि एक ही समय में पूरी दुनिया में कितने बच्चे पैदा होते हैं? शोध में, यह पाया गया है कि प्रति मिनट 250 से अधिक बच्चे पैदा होते हैं, और हर साल औसतन 120 मिलियन बच्चे पैदा होते हैं। संभवतः यह आपके लिए एक हो सकता, मगर वे जनसंख्या के मामले में कई हो जाते हैं।
जनसंख्या के बारे में कुछ तथ्य
साल 2023 की गणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 142 करोड़ हैं। भारत में, पूरी आबादी में 48.04 प्रतिशत महिलाएं और 51.96 प्रतिशत पुरुष हैं। केरल वह राज्य है, जहाँ देश में महिलाओं का अनुपात सबसे अधिक हैं। हरियाणा में यह अनुपात सबसे कम है। उत्तर प्रदेश सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। अरुणाचल प्रदेश सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य है।
जनसंख्या विस्फोट पर नियंत्रण
भारत में दुनिया की आबादी का 17.7 प्रतिशत हिस्सा है और दुनिया की 2.4 प्रतिशत भूमि है जो 135.79 मिलियन वर्ग किमी है। भारत दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है और चीनदूसरे स्थान पर है। भारत में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या ब्राजील की जनसंख्या के बराबर है।जनसंख्या के बारे में ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2036 तक इसके 1.52 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है, जो वर्तमान जनसंख्या का 10 प्रतिशत से अधिक है।
अपने दैनिक जीवन में हम कई लोगों से मिलते हैं जैसे हमारे घर के सफाईकर्मी से, खाना बनाने वाले से, आदि। हमें जनसंख्या विस्फोट की गंभीरता को समझते हुए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। हम इस जानकारी को उनके साथ भी साझा कर सकते हैं और इस तरह से, हम राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं।
यूट्यूब पर देखें => Jansankhya visfot par nibandh
निबंध 2 (400 शब्द) – जनसंख्या विस्फोट को कैसे नियंत्रित किया जाए
भारत को सबसे तेजी से विकसित हो रहे देशों में से एक के रूप में चिह्नित किया गया है। विकास करना वाकई बहुत ही अच्छा है लेकिन इसके कई आयाम होने चाहिए। विकास होना चाहिए लेकिन कुछ शर्तों के साथ। एक राष्ट्र का विकास अर्थव्यवस्था, राजनीति, शिक्षा, व्यापार, आदि जैसे कई तरीकों से तय होता है।
जनसंख्या विस्फोट क्या है
जनसंख्या में भारी वृद्धि को जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है। जनसंख्या खराब नहीं है लेकिन जब यह अनियंत्रित तरीके से बढ़ती है तो यह अच्छी बात नहीं है।
हर दिन हजारों बच्चे जन्म लेते हैं और मृत्यु दर में विकास के कारण जनसंख्या में भारी वृद्धि हो रही है। हालाँकि, यह एक अच्छी बात है, कई मायनों में, इसने हमारी आबादी को प्रभावित किया है। चीन और भारत ऐसे पहले दो देश हैं जिनकी जनसंख्या सबसे अधिक है और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।
जब संसाधन कम और लोग अधिक होते हैं और वे आवश्यक चीजें प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते हैं, तो यह एक चेतावनी है, यह सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ विकास को भी प्रभावित करता है। जब तक वहां रहने वाले लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलेंगी तब तक एक राष्ट्र विकसित नहीं होगा। ये सुविधाएं शिक्षा, रोजगार, उचित भोजन और अच्छा रहने की जगह हैं। जनसंख्या विस्फोट इन सभी कारकों को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।
जनसंख्या विस्फोट को कैसे नियंत्रित किया जाए
- उचित विज्ञापन द्वारा: विभिन्न जन्म नियंत्रण विधियों का उचित विज्ञापन होना चाहिए क्योंकि बहुत से ऐसे लोग हैं जो इस सम्बन्ध में कुछ जानते भी नहीं हैं और कई ऐसे हैं जो इससे सम्बंधित किसी तरह की बात करने या किसी से पूछने में शर्म महसूस करते हैं। जब लोगों के बीच उचित ज्ञान होगा, तो वे इसके बारे में सोचेंगे और इसका उपयोग भी करेंगे।
- नारी शिक्षा: राष्ट्र के कई ऐसे हिस्से हैं जहाँ लोग महिलाओं की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं लेकिन यह कई मायनों में बहुत आवश्यक है। एक शिक्षित महिला अपने भविष्य के बारे में सोच सकती है और वह निर्णय ले सकती है जो जनसंख्या विस्तार को रोकने में कई मायनों में मददगार है। अत्यधिक जनसंख्या के पीछे अशिक्षा एक बड़ा कारण है।
- कुछ सरकारी पहल: ऐसे कई देश हैं जो केवल पहले दो बच्चों को सब्सिडी प्रदान करते हैं। इसी तरह, केंद्र सरकार भी पहले दो बच्चों को विभिन्न लाभ प्रदान करती है, लेकिन यह हर जगह अपनाया जाना चाहिए। साथ ही सरकार को लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए समय-समय पर एक उचित अभियान भी चलाना चाहिए।
अत्यधिक जनसँख्या निश्चित रूप से एक समस्या है और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यह काफी हद तक सही है कि सरकार को कुछ बड़ी बातें करनी चाहिए फिर भी हमें अपने स्तर पर प्रयास करना चाहिए। कॉलेजों और अन्य गैर-सरकारी संगठनों को लोगों में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न अभियानों का आयोजन करना चाहिए।
निबंध 3 (600 शब्द) – जनसंख्या विस्फोट: कारण और कमियां
जब कोई भी चीज निरंतर रूप से अनियंत्रित तरीके से बढ़ती है तो इसे विस्फोट के रूप में जाना जाता है। जब यह मनुष्यों के संदर्भ में होता है तो इसे जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है। मनुष्यों के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब जनसंख्या 5 अरब से अधिक हो गई है; सिर्फ इतना ही नहीं स्त्री और पुरुष के लिंगानुपात में भी बहुत बड़ा अंतर है।
जनसंख्या विस्फोट के पीछे कारण
जनसंख्या विस्फोट के पीछे विभिन्न कारण हैं जिनमें से कुछ के बारे में मैंने यहाँ नीचे चर्चा की है:
- मृत्यु दर में कमी: चिकित्सा क्षेत्र में विकास के कारण मृत्यु दर में कमी देखी गई है। हालांकि यह कई मायनों में अच्छा है, लेकिन जनसंख्या विस्फोट के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि मृत्यु दर जितनी कम होगी जनसंख्या उतनी ही बढ़ेगी।
- निरक्षरता: निरक्षरता बढ़ती जनसंख्या के पीछे एक और कारण है क्योंकि भारत एक ऐसा देश है जहाँ 50 प्रतिशत से अधिक आबादी गाँवों में रहती है। इसके अलावा, एक ऐसा देश जहां बालिकाओं की हत्या आम है और इस परिदृश्य में, बहुत कम लोग हैं जो अपनी बेटी की शिक्षा की देखभाल करते हैं। मैं यह कह सकता हूं कि कई महिलाएं आज भी निरक्षर हैं। इसलिए, वे परिवार नियोजन के महत्व को नहीं समझती हैं और जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती हैं।
- नए सिद्धांतों का अभाव: ऐसे कई देश हैं जहाँ बच्चों के लिए नियम और कानून हैं। जैसे कि लोगों के एक या दो से अधिक बच्चे नहीं हो सकते। भारत में ऐसा कुछ नहीं है और परिणामस्वरूप, लोग स्वतंत्र हैं और उनके कई बच्चे हैं।
- कुछ सांस्कृतिक पदानुक्रम: कभी-कभी परिवारों में 5 बच्चे भी होते हैं, क्योंकि हर किसी को एक लड़के की ज़रूरत होती है, ऐसे में वे हर साल एक बच्चा पैदा करते रहते हैं, जब तक कि वह लड़का न हो। बालिकाओं की हत्या के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है। पितृसत्तात्मक समाज ने लड़कों को श्रेष्ठ बनाया है, हालांकि लड़कों के बारे में कुछ खास नहीं है। आज भी, कई क्षेत्रों में सांस्कृतिक विश्वास अभी भी जीवित है और यह भी हमारे देश में जनसंख्या विस्फोट के प्रमुख कारणों में से एक है।
जनसंख्या विस्फोट की कमियां
किसी भी चीज की अधिकता हानिकारक होती है या तो यह विटामिन और मिनरल्स हो या फिर आबादी। वे समाज में कुछ ऐसा असंतुलन पैदा करते हैं जो कई मायनों में सही नहीं होता है।
- गरीबी: भारत एक ऐसा देश है जहाँ आप बड़ी संख्या में गरीबों को देख सकते हैं। जितने अधिक सदस्य एक परिवार में होंगे, उतना ही परिवार को कमाने की आवश्यकता होगी और जब वे चीजों को प्रबंधित करने में विफल होते हैं, तो यह स्वतः ही यह उन्हें कुछ बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में व्यवधान डालता है। इससे गरीबी को बढ़ावा मिलता है। हालांकि भारत एक विकासशील राष्ट्र है लेकिन यहाँ कई समान रूप से गरीब हैं।
- बेरोजगारी: यह मुख्य समस्याओं में से एक जो आसानी से देखी जा सकती है। आजकल जनसंख्या की तुलना में बहुत कम नौकरियां रह गयीं हैं। जब ज्यादा लोग बेरोजगार होंगे तो यह अपने आप गरीबी की ओर ले जाएगा। हर चीज में संतुलन होना चाहिए तभी समाज में शांति और सद्भाव बना रहता है।
- अपराध में वृद्धि: हम कह सकते हैं कि गरीबी और बेरोजगारी सीधे अपराध के समानुपाती हैं। यह साफ़ है कि जब लोगों के पास पैसा नहीं होगा और इसे कमाने का कोई स्रोत भी नहीं होगा, तो निश्चित रूप से वे कुछ नकारात्मक कृत्यों की ओर रुख करेंगे। और आजकल आप आयेदिन अख़बारों और टीवी में डकैती या लूट की खबरें रोज पढ़ और देख सकते हैं। अपराध की दर दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
जनसंख्या विस्फोट में कई कमियां हैं और इसमें कुछ भी सकारात्मक नहीं है। इसे नियंत्रित करने के लिए हमें एक निश्चित नियम लाना चाहिए। हालाँकि केंद्र सरकार द्वारा कई लाभ प्रदान किए जाते हैं, फिर भी कई ऐसे हैं जो इसके बारे में जानते भी नहीं हैं। लोगों में जागरूकता विकसित करने के लिए विभिन्न अभियान चलाया जाना चाहिए।
संबंधित पोस्ट
मेरी रुचि पर निबंध (My Hobby Essay in Hindi)
धन पर निबंध (Money Essay in Hindi)
समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
मेरा स्कूल पर निबंध (My School Essay in Hindi)
शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)
बाघ पर निबंध (Tiger Essay in Hindi)
Leave a comment.
Your email address will not be published. Required fields are marked *
- Website Inauguration Function.
- Vocational Placement Cell Inauguration
- Media Coverage.
- Certificate & Recommendations
- Privacy Policy
- Science Project Metric
- Social Studies 8 Class
- Computer Fundamentals
- Introduction to C++
- Programming Methodology
- Programming in C++
- Data structures
- Boolean Algebra
- Object Oriented Concepts
- Database Management Systems
- Open Source Software
- Operating System
- PHP Tutorials
- Earth Science
- Physical Science
- Sets & Functions
- Coordinate Geometry
- Mathematical Reasoning
- Statics and Probability
- Accountancy
- Business Studies
- Political Science
- English (Sr. Secondary)
Hindi (Sr. Secondary)
- Punjab (Sr. Secondary)
- Accountancy and Auditing
- Air Conditioning and Refrigeration Technology
- Automobile Technology
- Electrical Technology
- Electronics Technology
- Hotel Management and Catering Technology
- IT Application
- Marketing and Salesmanship
- Office Secretaryship
- Stenography
- Hindi Essays
- English Essays
Letter Writing
- Shorthand Dictation
Hindi Essay on “Badhti Jansankhya” , ” बढ़ती जनसंख्या : एक भयानक समस्या” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
जनसंख्या: समस्या एंव समाधान Jansankhya Samasya evm Samadhan
Best 5 Hindi Essay on “Badhti Jansankhya”
निबंध नंबर :-01
हमारे देश में अनेकांे जटिल समस्याएँ हैं जो देश के विकास में अवरोध उत्पन्न करती हैं। जनसंख्या वृद्धि भी देश की इन्हीं जटिल समस्याओं में से एक है। संपूर्ण विश्व में चीन के पश्चात् भारत सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। पंरतु जिस गति से हमारी जनसंख्या बढ़ रही है उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं जब यह चीन से भी अधिक हो जाएगी। हमारी जनसंख्या वृद्धि की दर का इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् मात्र पाँच दशकों में यह 33 करोड़ से 100 करोड़ के आँकड़े को पार कर गई है।
देश में जनसंख्या वृद्धि के अनेकों कारण हैं। सर्वप्रथम यहाँ की जलवायु प्रजनन के लिए अधिक अनुकुल है। इसके अतिरिक्त निर्धनता, अशिक्षा, रूढ़िवादिता तथा संकीर्ण विचार आदि भी जनसंख्या वृद्धि के अन्य कारण हैं। देश मे बाल-विवाह की पंरपरा प्राचीन काल से थी जो आज भी गाँवों में विद्यमान है जिसके फलस्वरूप भी अधिक बच्चे पैदा हो जाते हैं। शिक्षा का अभाव भी जनसंख्या वृद्धि का एक प्रमुख कारण हैं। परिवार नियोजन के महत्व को अज्ञातवश लोग समझ नहीं पाते हैं। इसके अतिरिक्त पुरूष समाज की प्रधानता होने के कारण लोग लड़के की चाह में कई संतान उत्पन्न कर लेते हैं। परंतु इसके पश्चात् उनका व्यतीत भरण-पोषण करने की सामथ्र्य न होने पर निर्धनता व कष्टमय जीवन व्यतीत करते हैं।
देश ने चिकित्सा के क्षेत्र मंे अपार सफलताएँ अर्जित की हैं जिसके फलस्वरूप जन्मदर की वृद्धि के साथ ही साथ मृत्युदर मंे कमी आई है जिसके फलस्वरूप जन्मदर की वृद्धि के साथ ही साथ मृत्युदर में कमी आई है। कुष्ठ तपेदिक व कैंसर जैसे असाध्य रोगों का इलाज संभव हुआ है जिसके कारण भी जनसंख्या अनियंत्रित गति से बढ़ रही है। इसके अतिरिक्त जनसंख्या में बढ़ोतरी का मूल कारण है अशिक्षा और निर्धनता। आँकड़े बताते है कि जिन राज्यों मे शिक्षा-स्तर बढ़ा हुआ है और निर्धनता घटी है वहाँ जनसंख्या की वृद्धि दर में भी हास हुआ है। बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि प्रांतो में जनसंख्या वृद्धि दर सबसे अधिक है क्योंकि इन प्रांतों मे समाज की धीमी तरक्की हुई है।
देश में जनसंख्या वृद्धि की समस्या आज अत्यंत भयावह स्थिति मंे है जिसके फलस्वरूप देश को अनेक प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। देश में उपलब्ध संसाधनों की तुलना में जनसंख्या अधिक होने का दुष्परिणाम यह है कि स्वतंत्रता के पाँच दशकों बाद भी लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रही है। इन लोगों को अपनी आम भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। हमने निस्संदेह नाभिकीय शक्तियाँ हासिल कर ली हैं परंतु दुर्भाग्य की बात है कि आज भी करोड़ों लोग निरक्षर हैं। देश में बहुत से बच्चे कुपोषण के शिकार हैं जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि एक स्वस्थ भारत की हमारी परिकल्पना को साकार रूप देना कितना दुष्कर कार्य है।
बढ़ती हुई जनसंख्या पर अकंुश लगाना देश के चहुमुखी विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। यदि इस दिशा में सार्थक कदम नहीं उठाए गए तो वह दिन दूर नहीं जब स्थिति हमारे नियंत्रण से दूर हो जाएगी। सर्वप्रथम यह आवश्यक है कि हम परिवार-नियोजन के कार्यक्रमों को और विस्तृत रूप दें। जनसंख्या वृद्धि की रोकथाम के लिए प्रशासनिक स्तर पर ही नहीं अपिंतु सामाजिक, धार्मिक एंव व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास आवश्यक हैं। सभी स्तरों पर इसकी रोकथाम के लिए जनमानस के प्रति जागृति अभियान छेड़ा जाना चाहिए।
भारत सरकार ने विगत वर्षों में इस दिशा में अनेक कदम उठाए हैं परंतु इन्हें सार्थक बनाने के लिए और भी अधिक कठोर उठाना आवश्यक है। देश के स्वर्णिम भविष्य के लिए हमें कुछ ऐसे निर्णय भी लेने चाहिए जो वर्तमान में भले ही अरूचिकर लगें परंतु दूरगामी परिणाम अवश्य ही सुखद हों – जैसे हमारे पड़ोसी देश चीन की भाँति एक परिवार में एक से अधिक बच्चे पर पांबदी लगाई जा सकती है। अधिक बच्चे पैदा करने वालों का प्रशासनिक एंव सामाजिक स्तर पर बहिष्कार भी एक प्रभावी हल हो सकता है। यदि समय रहते इस दिशा में देशव्यापी जागरूकता उत्पन्न होती है तो निस्संदेह हम विश्व के अग्रणी देशों में अपना स्थान बना सकती हैं।
निबंध नंबर :-02
बढ़ती जनसंख्या : एक भयानक समस्या
Badhti Jansankhya ek bhayanak samasya
भूमिका – भारत के सामने अनेक समस्याएँ चुनौती बनकर खड़ी हैं | जनसंख्या-विस्फोट उनमें से सर्वाधिक है | एक अरब भारतियों के पास धरती, खनिज, साधन आज भी वही हैं जो 50 साल पहले थे | परिणामस्वरूप लोगों के पास जमीन कम, आय कम और समस्याएँ अधिक बढ़ती जा रही हैं |
भारत की जनसंख्या – आज विश्व का हर छठा नागरिक भारतीय है | चीन के बाद भारत भी आबादी सर्वाधिक है |
जनसंख्या-वृद्धि के कारण – भारतीय परंपराओं में बाल-बच्चों से भरा-पूरा घर ही सुख का सागर माना जाता है | इसलिए शादी करना और बच्चों की फौज़ जमा करने में हर नागरिक रूचि लेता है | यहाँ के लोग मानते हैं कि पिता का वंश चलाना हमारा धर्म है | ईश्वर-प्राप्ति के लिए पुत्र का होना अनिवार्य मन जाता है | परिणामस्वरूप लड़कियाँ होने पर संतान बढती जाती है |
दुष्परिनाम – जनसंख्या के दुष्परिणामों की कहानी स्पष्ट और प्रकट है | जहाँ भी देखो, हर जगह भीड़ ही भीड़ का सम्राज्य है | भीड़ के कारण हर जगह गंदगी, अव्यवस्था और हौचपौच है | देश का समुचित विकास नहीं हो पा रहा | खुशहाली की जगह लाचारी बढ़ रही है | बेकारी से परेशान लोग हिंसा, उपद्रव और चोरी-डकैती पर उतर आते हैं |
समाधान – जनसंख्या-वृद्धि रोकने के लिए आवश्यक है कि हर नागरिक अपने परिवार को सीमित करे | एक-से अधिक संतान को जन्म न दे | लड़के-लड़की को एक समान मानने से भी जनसंख्या पर नियंत्रण हो सकता है |
परिवार-नियोजन के साधनों के उचित उपयोग से परिवार को मनचाहे समय तक रोका जा सकता है | आज जनसंख्या रोकना राष्ट्रीय धर्म है | इसके लिए कुछ भी करना पड़े, वह करना चाहिए |
निबंध नंबर :-03
जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम
बढ़ती जनसंख्याः भविष्य के लिए भयानक चुनौती
जनसंख्या विस्फोट: एक समस्या
विश्व की जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में यह बात स्पष्ट रूप से स्वीकार की गई है कि विश्व की जनसंख्या वृद्धि दर में जो कमी आई है, उसका कारण चीन सरकार द्वारा उठाए गए कारगर कदम हैं। चीन की सरकार यह भतीभँति जानती है कि जनसंख्या को रोक बिना आर्थिक उपलब्धियाँ नहीं हो सकती।
यदि हम भारत की स्थिति पर विचार करें तो हमें ज्ञात होगा कि 2001 की जनगणना के अनुसार देश की जनसंख्या 100 करोड़ को पार कर गई है। अब यह आँगडा़ 105 करोड़ छू रहा है। इतनी विशाल जनसंख्या को उपयोग की वस्तुएँ उपलब्ध कराना अपने आप में एक समस्या है। भारत एक गरीब देश हैं इसके संसाधन भी सीमित हैं। जनसंख्या वृद्धि पर काबू पाए बिना देश में आर्थिक सम्पन्नता लाना अत्यंत कठिन है। जनसंख्या वृद्धि से बहुत अधिक समस्याएँ अत्पन्न होती हैं।
जनसंख्या वृद्धि से अधिक आवासीय स्थजों की आवश्यकता होती है। अधिक मकान बनाने के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता होती है। इससे भूमि पर दबाव पड़ता है। कृष योग्य भूमि धन के लालच में बेच दी जाती हैै। कृषि-उत्पादन में गिरावट होती है। आज शहरीकरण के कारण सीमाएँ फैलती जा रही हैं। इस प्रवृति को रोका जाना नितांत आवश्यक है।
अधिक आबादी के लिए अधिक वस्तुओं की आवश्यकता होगी । न केवल उदरपूर्ति के लिए बल्कि अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिक संसाधन जुटाने होंगे। यदि साधन पर्याप्त न हुए तो देश की स्थिति विषम हो जायेगी। अधिक आबादी के लिए अधिक अनाज, अधिक तेल, अधिक कपडा़, अधिक पानी, अधिक यातायात के साधनों की आवश्यमता होगी। पेट्रोल की भी अधिक आवश्यकता होगी। यह सब कैसे प्राप्त किया जाएगा? पैट्रलियम उत्पादों के बारे मे विशेषज्ञों का मत है कि वह 40-50 वर्षो में समाप्त हो जायेगे।
जनसंख्या-वृद्धि के कारण शिक्षा-सुविधाओं का आभाव महसूस किया जा रहा है। देश की बहुसंख्या को शिक्षा की प्रथमिक सुविधाएँ भी नहीं मिल पा रही हैं। देश में पर्याप्त मात्रा में प्रथमिक स्कूल, माध्यमिक स्कूल, काॅलेज व शैक्षणिक संस्थाओं का आभाव है। जब तक देश के सभी बच्चों को शिक्षा की सुविधा नहीं मिलेगी तब तक इस देश का सर्वांगीय विकास संभव नहीं है। इस देश की समस्त समस्याओं के मूल में अशिक्षा है।
जनसंख्या-वृद्धि के कारण स्वास्थ्य सुविधाओं की भी बहुत कमी है। देश की अधिकांश जनसंख्या को स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधएँ भी प्राप्त नहीं हैं। सरकारी अस्पतालों की संख्या सीमित है। जो सरकारी अस्पताल हैं उनमें बहुत अधिक भीड़ है। देश की गरीब जनता निजी अस्पतालों का महँगा खर्च वहन नहीं कर सकती। इस वजह से गरीब लोग इन सुविधाओं के आभाव में मरने को मजबूर हैं।
हर व्यक्ति चाहता है कि उसे रोजगार उपलब्ध कराया जाए। इसके साथ-साथ अधिक संतान उत्पन्न करना भी प्रत्येक व्यक्ति अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझता है। सरकार के लिए यह संभव नही है कि वह नियोजन के बिना सबको रोजगार उपलब्ध कराए। इसके साथ-साथ सबको रोजगार न मिलने पर अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इससे आर्थिक अपराध बढ़ते हैं। समाज मंे अव्यवस्था फैलती है। राज्य के राजस्व पर अधिक बोझ पड़ता है। इससे देश में असंतोष पैदा होता है। शासन-व्यवस्था में अस्थिरता आती है। इससे देश कमजोर होता है और उसकी एकता एवं अखंडता खतरे में पड़ जाती है। छोटी-छोटी सी समस्याओं को लेकर आंदोलन चलते रहते हैं। इसके लिए राजनीतिक दल भी पूरी तरह उत्तरदायी हैं। वे निकृष्टतम हथकंडे अपनाने तक को तैयार हो जाते हैं।
उपर्युक्त बातों से स्पष्ट है कि जनसंख्य-वृद्धि किसी भी दृष्टि से किसी भी देश के लिए हितकर नहीं है। इसे रोकना होगा। देश तभी प्रगति के तथ पर आगे बढ़ सकेगा जब परिवार नियोजित रहें। जनसंख्या वृद्धि सबसे अधिक निर्धन वर्ग में होती है। प्रश्न यह उठता है कि जनसंख्या पर काबू किन उपायों से पाया जा सकता है।
जनसंख्या रोकने के लिए सर्वप्रथम जागरूकता का होना आवश्यक है। लोगों को यह समझाना होगा कि छोटा परिवार सुखी परिवार होता है। यदि परिवार छोटा होगा तो माता-पिता अपनी संतान का पालन-पोषण बेहतर ढ़ंग से कर सकंेगे, उन्हें बढ़िया कपडे़ , पौष्टिक भोजन एवं अच्छी शिक्षा दिलाई जा सकती है। बच्चों एवं माताओं के स्वस्थ रहने के लिए परिवार को नियंत्रण में रखना आवश्यक है।
लड़के के पैदा होने की कामना भी जनसंख्या को बढ़ाती है। अब हमें लड़के-लड़की को एक समान मानना होगा। समाज में लड़की को सम्मान दिलाने से भेदभाव स्वयं मिट जाएगा। इसके बाद हम लड़की के बाद लड़के की कामना करना स्वयं छोड़ देंगे। ’एक ही संतान काफी है’ -यह विचार परिवार नियोजन के लक्ष्य को पूरा कर सकता है।
निबंध नंबर :-04
भारत की जनसंख्या की समस्या
Bharat ki Jansankhya Samasya
भारत एक विशाल देश है। उसकी आबादी अधिक है। 1991 की जनगणना के अनुसार देश की आबादी 843,930,861 है। 1981 की जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार यह 683,810,051 थी। अप्रैल 1971 की जनगणना में देश की आबादी 547,949,809 थी।
जबकि 1961 में लगभग 44 करोड़ और 1951 में लगभग 36 करोड़ थी। पिछले दस वर्षों के दौरान जनसंख्या उल्लेखनीय रूप में बढ़ी है। इस प्रकार जन्म-दर में विशेष गिरावट नहीं आयी है, जबकि मृत्यु-दर में पर्याप्त कमी है। अधिकारिक सूचनाओं के अनसार 1961 से 1970 के बीच जन्म-दर प्रति हजार व्यक्ति 41.1 थी और उसी दौरान मत्य-दर प्रति एक हजार व्यक्तियों पर 18.9 थी। इस बात का पता लगाया जा चुका है कि अप्रैल 1974 में जन्म-दर प्रति हजार व्यक्ति केवल 35.4 थी। किन्तु हमारा पूर्व निश्चित लक्ष्य जन्म-दर को प्रति हजार व्यक्ति 32 करने का है।
अब जन्म-दर 30.05 प्रति हजार है तथा मृत्यु दर 10.02 प्रति हजार है। पुरुषों और महिलाओं का अनुपात 1000 : 929 है।
इन आंकड़ों से यह प्रकट होता है कि देश एक बहुत बड़ी जनसंख्या सम्बन्धी समस्या का सामना करने वाला है। प्रत्येक बच्चे के विकास के साथ देश के साधन काफी सीमा तक प्रभावित होते हैं। जब वह बड़ा होता है तो उसे रोजगार तथा दूसरी अन्य सुविधाओं की जरूरत होती है, अतः सरकार का सबसे अधिक बल परिवार कल्याण के कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन पर है।
आपातस्थिति के दौरान सरकार परिवार नियोजन के कार्यक्रम को लागू करने की भरपूर कोशिश कर रही थी और मोटे अनुमान के अनुसार लगभग एक करोड़ आदमी उससे प्रभावित हुए थे। उस दौरान हालांकि परिवार नियोजन के क्षेत्र में सरकार को बहुत अधिक सफलता मिली थी, किन्तु अधिकारियों द्वारा अनुचित बल-प्रयोग का भी उसमें बहुत बड़ा हाथ था जिससे प्रजा में रोष फैल गया और त्राहि-त्राहि मच गई।
बाद में परिवार नियोजन कार्यक्रम की पद्धति में परिवर्तन किया गया और कार्यक्रम का नाम बदलकर ‘परिवार कल्याण कार्यक्रम’ कर दिया गया। सरकार ने उन लोगों की आर्थिक क्षतिपूर्ति भी की जो परिवार नियोजन के असफल आपरेशनों से प्रभावित हुए थे। साथ ही परिवार नियोजन में बल-प्रयोग की भर्त्सना की गई किन्तु विभिन्न प्रचार माध्यमों से लोगों के अन्तःकरण को परिवार नियोजन के महत्त्व के बारे में प्रभावित करने की नीति को अधिक प्रभावी माना गया।
लोग स्वेच्छा से चाहें तो कुछ विशेष जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कर सकते हैं या आपरेशन का रास्ता अपना सकते हैं, किन्तु सरकारी प्रचार का माध्यम अखबार व अन्य संचार-साधन ही हैं। उनमें सिर्फ इसी बात का प्रचार किया जाता है कि परिवारों के आकार को छोटा किया जाए। सरकार का ध्येय है कि जनता की भलाई और सरकार किसी भी कार्यक्रम को जनता की इच्छा से ही क्रियान्वित करना बेहतर समझती है।
इसके साथ ही, सरकार योग व जड़ी-बूटियों द्वारा नियन्त्रण करने के साधनों का प्रचार भी कर रही है और चारित्रिक दृढ़ता को भी प्रमुखता दे रही है। इस प्रकार सरकार जनसंख्या को नियंत्रित करने के लगभग सभी सम्भव प्रयत्न कर रही है, किन्तु इस उद्देश्य के लिये बल-प्रयोग किया जाना बहुत ही कठिन कार्य है। सबसे अच्छा तरीका आत्म-नियन्त्रण तथा अन्य ऐसे ही साधन हैं। अतः वर्तमान सरकार परिवार सीमित करने के कार्यक्रम को लोकप्रिय बना रही है और साथ ही जनसंख्या की वृद्धि के प्रति सचेत भी है।
निश्चय ही जनसंख्या को बढ़ने से रोकना होगा, किन्तु केवल प्राकृतिक तरीकों से ही और जनता की स्वेच्छा से ही यह सम्भव हो सकेगा। बल प्रयोग करने से यह उद्देश्य घपले में पड़ जाएगा, जिसके लिए जनसंख्या नियन्त्रण का कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है। मनुष्यों को छोटे परिवार के गुणों तथा उनकी अपनी ही भलाई के बारे में अवगत कराया जाएगा।
निबंध नंबर :-05
बढ़ती हुई जनसंख्या समस्या और समाधान
Badhti hui jansankhya samasya aur samadhan.
आज विश्व की जनसंख्या में जिस तीव्र गति से वद्धि हो रही है उसे देखते हए ऐसा प्रतीत होता है कि शीघ्र ही खाद्य पदार्थों की कमी हो जाएगी । माल्थस के सिद्धान्त के अनुसार जनसंख्या जयामितीय (Geometrical) गति से और उपज अंक-गणितीय (Arithmetical) के हिसाब से बढ़ती है। दोनों की गति में इतना अन्तर है कि एक दूसरे से सन्तुलन नहीं बैठाया जा सकता। भारत की बढती हुई जनसंख्या राष्ट्र की एक भयानक समस्या है । देश की समृद्धि के लिए सरकार द्वारा किए गये कार्यों में गतिरोध उत्पन्न होने का एक प्रमुख कारण जनसंख्या का निरन्तर बढ़ना है। आज हमारी जनसंख्या एक अरब पचास लाख के लगभग पहुँच चकी है । प्रो. कार साण्डर्स का मत है कि यदि यह वद्धि इसी गति से होता रही तब पाँच सौ वर्षों के पश्चात् विश्व की जनसंख्या इतनी हो जाएगी कि मनुष्यों का रहना तो दूर पृथ्वी पर खड़े होने के लिए स्थान नहीं रहेगा ।
भारत में बढ़ती हुई इस जनसंख्या के अनुपात में यहां के आर्थिक उत्पादन नहीं बढ़ पा रहे हैं । भूमि और अन्य प्राकतिक साधन सीमित है । सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम “ गरीबी हटाओ और उत्पादन बढ़ाओ “ आदि भी इसीलिए विफल हो रहे हैं । औद्योगिक उत्पादन में भी पांच गुना वृद्धि हुई है परन्तु गरीबी जहाँ की तहाँ है । इसका मूल कारण है जनसंख्या में अनियन्त्रित वृद्धि ।
वेदों में दस दस पुत्रों की कामना की गई है । सावित्री ने यमराज से अपने लिए सौ भाइयों तथा सौ पुत्रों का वरदान मांगा था । कौरव सौ भाई थे। पंडित जी भी किसी को वरदान देते समय यही कहा करते थे ‘दूधो नहाओ, पुतों फलो’ या फिर ‘ तुम सात – सात पुत्रों का मुँह धोओ ‘ । यह सब उस समय की बातें हैं जब जनसंख्या इतनी कम थी कि समाज की समृद्धि, सुरक्षा और सभ्यता के विकास के लिए जनसंख्या की वृद्धि की अत्यन्त आवश्यकता थी । आज की स्थिति बिल्कुल विपरीत है । 1981 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 68.4 करोड़ थी । 1991 में यह संख्या 88 करोड़ जा पहुंची है और अब 2000 में हम एक अरब पचास लाख की संख्या पार कर चुके हैं ।
वास्तव में देश की जनसंख्या ही उसकी शक्ति का आधार होती है परन्तु जब यह जनसंख्या अनियन्त्रित एवं असाधारण रूप से बढ़ती है तो यह देश पर एक बोझ ही होगा । सीमा से अधिक आबादी किसी भी देश के लिए गौरव की बात नहीं कही जा सकती है । भारत इस समय विश्व में जनसंख्या की दष्टि से दुनिया का दूसरा बड़ा देश है । चीन जनसंख्या की दृष्टि से पहला बड़ा देश है । यदि भारत की जनसंख्या इसी प्रकार बढ़ती गई तो ऐसा लगता है भारत चीन से भी आगे बढ़ जाएगा ।
परिवार नियोजन का लक्ष्य है परिवार के स्वास्थ्य और प्रसन्नता के लिए उपयुक्त वातावरण बनाना। यह काम और भी सरल हो जाए यानि क्रमिक उन्नति, दाम्पत्य जीवन सम्बन्धी विज्ञान तथा वैवाहिक जीवन में सामंजस और असामंजस्य के कारणों अथवा पारिवारिक जीवन की समस्याओं का अध्ययन किया जाए। परिवार नियोजन का असली लक्ष्य परिवार सीमित करने तक ही सीमित नहीं है । परिवार नियोजन के कार्य में केवल कम बच्चे उत्पन्न करना और उनके जन्म में अन्तर देना ही नहीं वरना ऐसे और भी कार्य हैं जो परिवार के कल्याण के लिए आवश्यक हैं जिससे परिवार की सामंजस्य पूर्ण वृद्धि और उन्नति हो ।
कुछ विद्वानों का विचार है परिवार नियोजन जनसंख्या को बढ़ने से रोकने के लिए एक अमानवीय उपाय यह है कि जीवन स्तर को गिरा दिया जाए, मृत्यु की दर को बढ़ा दिया जाए परन्तु यह बात एक सभ्य समाज में चल नहीं सकती । भारत में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग हैं । देश में कुछ धार्मिक लोग हिन्दुओं की जनसंख्या घटने के कारण परिवार कल्याण जैसे कार्यक्रमों का विरोध करते हैं । ईसाई तथा इस्लाम धर्म को मानने वाले भी धार्मिक दृष्टि से ऐसे कार्यक्रमों का विरोध करते हैं । ऐसी देश विरोधी भावनाओं को देश के हित की दृष्टि से नष्ट करना ज़रूरी है।
आज भी भारत में रहने वाले निर्धन लोग जनसंख्या वृद्धि में गौरव का अनुभव करते हैं । केवल शिक्षित वर्ग ही इस बात को समझता है । इसीलिए वह परिवार कल्याण के कार्यक्रमों में विश्वास रखता है और अपनाता है । सरकार को चाहिए कि एक तो कम आय वाले लोगों और दूसरे दो बच्चों के पश्चात् कानूनी तौर पर नसबन्दी आप्रेशन आवश्यक हो । नहीं तो भारत का मानव केवल भोगवादी बनकर रह जाएगा । भोग में सख और शान्ति प्राप्त नहीं होती ।
अन्त में हम कह सकते हैं कि भारत सरकार ने स्वास्थ्य, चिकित्सा, परिवार नियोजन तथा शिक्षा प्रसार के अनेक प्रयत्न किए हैं । गर्भपात के लिए भी कानून बनाया है तथापि यह स्वीकार करना होगा कि सरकार द्वारा किए गए प्रयलों का फल उतना प्राप्त नहीं हुआ है जितना होना चाहिए । अत: यह आवश्यक है कि सरकार गम्भीरतापूर्वक विचार कर त्रुटियों को दूर करे तथा देश एवं जनता के कल्याण के लिए कठोर नीति अपनाकर दृढ़ता से जनसंख्या नियन्त्रण के उपायों को लागू करे । तभी देश उन्नति और विकास के पथ पर अग्रसर हो सकता है ।
About evirtualguru_ajaygour
commentscomments
Jansakhya projecat
It help me to
Be best not the better
It’s a nice policy.
It helps me so much
Best and better than others Thank’s Guru
Nice line and I like this line
It helped me in my exams
it very helpfull
its very helpfull to me in myhome assignment
Will write this essay wrting competition
It’s very nice
This essay is helped me in my essay compitation and I won
good fpjwrig3 i got good marks in test
Second essay was the most useful for me
Second essay helped me a lot and it was the best one.
Leave a Reply Cancel reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Quick Links
Popular Tags
Visitors question & answer.
- Diksha on Official Letter Example “Write a letter to Superintendent of Police for theft of your bicycle. ” Complete Official Letter for all classes.
- Anchal Sharma on Write a letter to the Postmaster complaining against the Postman of your locality.
- rrrr on Hindi Essay on “Pratahkal ki Sair” , ”प्रातःकाल की सैर ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
- Mihir on CBSE ASL “Listening Test Worksheet” (ASL) 2017 for Class 11, Listening Test Audio Script 1
- Anska on Hindi Essay on “Parishram Saphalta ki Kunji Hai” , ”परिश्रम सफलता की कुंजी है ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
Download Our Educational Android Apps
Latest Desk
- Cowards Die Many Times Before Their Death, Complete English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11, 12, Graduation and Competitive Examination.
- The Life of a Soldier, Complete English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11, 12, Graduation and Competitive Examination.
- Success Comes to Those Who Dare and Act, Complete English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11, 12, Graduation and Competitive Examination.
- A False Friend, Complete English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11, 12, Graduation and Competitive Examination.
- Do Not Put Off till Tomorrow What You Can Do Today, Complete English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11, 12, Graduation and Competitive Examination.
- Shabd Shakti Ki Paribhasha aur Udahran | शब्द शक्ति की परिभाषा और उदाहरण
- Shabd Gun Ki Paribhasha aur Udahran | शब्द गुण की परिभाषा और उदाहरण
- Virodhabhas Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | विरोधाभास अलंकार की परिभाषा और उदाहरण
- Example Letter regarding election victory.
- Example Letter regarding the award of a Ph.D.
- Example Letter regarding the birth of a child.
- Example Letter regarding going abroad.
- Letter regarding the publishing of a Novel.
Vocational Edu.
- English Shorthand Dictation “East and Dwellings” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines.
- English Shorthand Dictation “Haryana General Sales Tax Act” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
- English Shorthand Dictation “Deal with Export of Goods” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
- English Shorthand Dictation “Interpreting a State Law” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
essay about the most important person in my life
- गर्भधारण की योजना व तैयारी
- गर्भधारण का प्रयास
- प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी)
- बंध्यता (इनफर्टिलिटी)
- गर्भावस्था सप्ताह दर सप्ताह
- प्रसवपूर्व देखभाल
- संकेत व लक्षण
- जटिलताएं (कॉम्प्लीकेशन्स)
- प्रसवोत्तर देखभाल
- महीने दर महीने विकास
- शिशु की देखभाल
- बचाव व सुरक्षा
- शिशु की नींद
- शिशु के नाम
- आहार व पोषण
- खेल व गतिविधियां
- व्यवहार व अनुशासन
- बच्चों की कहानियां
- बेबी क्लोथ्स
- किड्स क्लोथ्स
- टॉयज़, बुक्स एंड स्कूल
- फीडिंग एंड नर्सिंग
- बाथ एंड स्किन
- हेल्थ एंड सेफ़्टी
- मॉम्स एंड मेटर्निटी
- बेबी गियर एंड नर्सरी
- बर्थडे एंड गिफ्ट्स
- बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)
जन्माष्टमी पर निबंध (Essay On Janmashtami in Hindi)
In this Article
जन्माष्टमी पर 5 लाइन का निबंध (5 Lines On Janmashtami in Hindi)
जन्माष्टमी पर 10 लाइन का निबंध (10 lines on janmashtami in hindi), जन्माष्टमी पर निबंध 200-300 शब्दों में (short essay on janmashtami in hindi in 200-300 words), जन्माष्टमी पर निबंध 400-600 शब्दों में (essay on janmashtami in hindi in 400-600 words), जन्माष्टमी के बारे में रोचक तथ्य (interesting facts about janmashtami in hindi), अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (faqs), जन्माष्टमी के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है (what will your child learn from the janmashtami essay).
भारत विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का देश है, यहां साल भर में कई सारे त्यौहार मनाए जाते हैं जिसमें सभी धर्मों के पर्व शामिल हैं। ऐसे ही भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव सारे भारत में जन्माष्टमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। जन्माष्टमी हिंदुओं के प्रमुख पर्वों में शामिल है। ये पर्व रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण माता देवकी और वासुदेव के आठवीं संतान थे और उनका जन्म उनके ही मामा कंस की कालकोठरी में हुआ था। इस दिन पूरे देश के मंदिरों में श्री कृष्ण की सुंदर और आकर्षित मूर्तियां और झांकियां सजाई जाती हैं। इस दौरान उनके बाल रूप की पूजा की जाती है। आधी रात को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव होता है, मंदिरों को खूब सजाया जाता है, लोग भगवान के आगमन का बेसब्री से इंतजार करते हैं और पूरी रात भंडारा किया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अब बड़े उल्लास के मनाई जाने लगी है और बड़ी तादाद में कृष्ण भक्त अपनी आस्था का प्रदर्शन अपने अपने तरीके से करते हैं। यदि आप अपने बच्चे के लिए जन्माष्टमी पर हिंदी में निबंध की तलाश कर रहे हैं तो फिर हमारा सुझाव है आपको यह लेख अंत तक पढ़ना चाहिए। यहां आपको विभिन्न शब्द सीमा में निबंध के सैंपल मिलेंगे जिसकी सहायता से आपका बच्चा खुद एक बेहतरीन निबंध लिख सकेगा।
जन्माष्टमी जैसे पावन पर्व के बारे में 5 लाइन का निबंध पढ़ें, जिसे आप अपने बच्चे को तैयार करा सकते हैं।
- भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
- इस दिन लोग उपवास रखते हैं और रात में धूम-धाम से भगवान कृष्ण का स्वागत करते हैं।
- मंदिरों में श्री कृष्ण की खूबसूरत मूर्तियां सजाई जाती हैं।
- घरों में श्री कृष्ण के लिए सुंदर झांकियां सजती हैं।
- श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं।
जन्माष्टमी से जुड़ी 10 पंक्तियों का निबंध ध्यान से पढ़ें,ये यह बच्चों को जन्माष्टमी पर निबंध लिखने में मदद करेंगी।
- हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक जन्माष्टमी है।
- यह त्योहार भगवान श्री कृष्ण के धरती पर जन्म लेने के दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- भगवान श्री कृष्ण का जन्म लगभग 5000 साल पहले हुआ था।
- उनके माता-पिता का नाम देवकी और वसुदेव था जबकि उनका लालन-पालन यशोदा मैया और नंद बाबा ने किया था।
- श्रीकृष्ण का जन्म आततायी राक्षस और दैत्यों का संहार करने के लिए हुआ था।
- जन्माष्टमी का पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आता है।
- घरों में श्री कृष्ण के बाल रूप को पालने में बिठाते हैं और उनकी सुंदर झांकी सजाते हैं।
- मुख्य प्रसाद के रूप में भगवान को माखन, पंजीरी और पंचामृत अर्पित किए जाते हैं।
- श्री कृष्ण भगवान विष्णु के दशावतारों में से आठवां अवतार है।
- जन्माष्टमी भारत ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी धूमधाम से मनाई जाती है।
श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में जन्माष्टमी मनाई जाती है और आपका बच्चा भी इस पर्व का पूरा आनंद लेता है। यदि ऐसे में उसे इसके बारे में एक कम शब्दों वाला निबंध लिखना है तो वह नीचे दिए गए 200 -300 शब्दों की सीमा के अंतर्गत आने वाले निबंध का सहारा ले सकता है।
भारत विविधता का देश है और यहाँ कई तरह के पर्व मनाए जाते हैं। हिन्दू धर्म के कई ऐसे त्योहार हैं जो कि बहुत ही धूम-धाम से मनाए जाते हैं। ऐसे में जन्माष्टमी का भी यहाँ बहुत महत्व है। जन्माष्टमी को भगवान कृष्ण के जन्म दिवस के अवसर के रूप में मनाया जाता है और इसे गोकुलाष्टमी भी कहते हैं। जन्माष्टमी का त्यौहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन भक्तों के लिए ये दिन बेहद खास होता है। ये सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में बड़े ही जोश के मनाया जाता है। जन्माष्टमी की लोकप्रियता कई देशों में फैली हुई और लोग सनातम धर्म का पालन करते हुए कृष्ण की भक्ति में लीन हो जाते है। जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है, हर तरफ रौशनी रहती है और कृष्ण की बड़ी-बड़ी मूर्तियों की स्थापना कर के उनका श्रृंगार किया जाता है। मंदिर में भक्तों की कतार लगती है और सब उनके जन्म का इंतजार करते हैं और आरती के बाद भोग का आनंद लेते हैं। वहीं जो जन्माष्टमी घरों में मनाई जाती है, उसमें पूरा परिवार मिलकर श्री कृष्ण की सुंदर-सुंदर झांकी सजाता है और बाल गोपाल की मूर्ति रखकर उनकी पूजा करता है। रात 12 बजते ही खीरे के आखिर में मौजूद डंठल को काटकर कृष्ण का जन्म किया जाता है। आरती करके घंटियां और मंजीरे बजाए जाते हैं। बाद में पूरा परिवार मिलकर तैयार किए गए प्रसाद पंजीरी और पंचामृत का आनंद लेता है। इस पर्व को मनाने का उद्देश्य बुरी चीजों से बचना और सही राह पर चलना है। ऐसा माना गया है कि कृष्ण भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली अवतार थे।
कृष्ण जन्माष्टमी भारत का लोकप्रिय पर्व है। बच्चों के साथ बड़े भी इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण की मूर्तियों को सजाया जाता है, आरती की जाती है और साथ ही बहुत बड़ा भंडारा किया जाता है। यदि आपको इस पर्व के बारे में विस्तार से जानकारी चाहिए या बड़ा निबंध लिखना चाहते हैं तो नीचे दिए शीर्षकों को ध्यान से पढ़ें।
जन्माष्टमी का क्या महत्व है? (What Is the Importance of Janmashtami?)
हिन्दू धर्म में जन्माष्टमी का दिन हिंदुओं के लिए बहुत ही खास है। इस दिन मथुरा में माँ देवकी ने भगवान कृष्ण को कंस की कालकोठरी में जन्म दिया था लेकिन उनका पालन-पोषण गोकुल में माता यशोदा ने किया था। भगवद गीता में लिखा है कि ‘जब-जब धर्म की हानि होगी और अधर्म बढ़ेगा, तब-तब मै जन्म लूंगा’। ऐसा हमेशा से होता आया है, जब-जब राक्षसों ने मानव जाती पर कहर ढाया है, तब-तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें उनके प्रकोप से बचाया है। यह पर्व हमें यह दर्शाता है कि मन में जागे बुरे कर्मों और विचारों को खत्म कर देना चाहिए और सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। जन्माष्टमी एक बेहद पावन अवसर है। हिंदुओं की मान्यता अनुसार इस दिन सच्चे मन से पूजा करने से लंबी उम्र और सुखी जीवन हासिल होता है। कृष्ण भगवान थे लेकिन उन्होंने कारागार में जन्म लिया था और संसार के सभी कष्टों को सहकर मनुष्यों को एक बेहतरीन सीख दी थी कि जीवन में किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए बल्कि उसका सामना करना चाहिए।
जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है? (Why Is Janmashtami Celebrated?)
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व न सिर्फ भारत में बल्कि कई देशों में बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन देश-विदेश में विभिन्न जगहों पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और लोग भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन हो जाते हैं। इस पर्व का इतिहास 5000 वर्ष पहले द्वापरयुग से जुड़ा हुआ है। उस समय मथुरा में राजा कंस का राज था और वह वहां के लोगों पर बेहद अत्याचार करता था। जब ये अत्याचार अधिक बढ़ गया तो भगवान विष्णु अपने आठवें अवतार के रूप में कृष्ण बनकर पृथ्वी पर आए। कंस की चहेरी बहन देवकी के विवाह के समय आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र ही कंस का अंत करेगा। इसके बाद कंस ने देवकी और उसके पति वसुदेव को कारागार में डाल दिया और एक-एक करके उनके 6 पुत्रों की हत्या कर दी। लेकिन विधि लिखित के अनुसार कृष्ण ने भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की मध्यरात्रि को देवकी व वसुदेव के पुत्र रूप में कारागार में ही जन्म लिया। उनके जन्म के समय में बहुत तेज बारिश हो रही थी, चारों तरफ घना अंधकार छाया हुआ था। श्री कृष्ण के जन्म लेते ही वासुदेव की बेड़ियां और कारागार के दरवाजे खुद ही खुल गए और पहरेदार गहरी नींद में सो गए। वसुदेव ने कृष्ण को तूफानी वर्षा में यमुना नदी पार करके अपने मित्र और ब्रज के मुखिया नंद के घर पहुंचा दिया। कृष्ण का पालन-पोषण माँ यशोदा ने किया। 16 वर्ष की आयु में कृष्ण ने कंस का वध किया और मथुरा वासियों को उसके अत्याचारों से राहत दिलाई।
जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है? (How Is Janmashtami Celebrated?)
जन्माष्टमी के समय देश में हर जगह पर धूम होती है और इसे बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। घरों, स्कूल, कॉलेज और देश के सभी मंदिरों में ये पर्व मनाया जाता है। इस दौरान कई जगह दही हांडी की प्रतियोगिता रखी जाती है। हांड़ी में दही भरा जाता है और ऊपर तार पर लटका दिया जाता है। लोग मानव पिरामिड बनाकर हांड़ी फोड़ते हैं। कभी-कभी इसे आँख पर पट्टी बांधकर भी फोड़ा जाता है। एक जगह मटकी को रख दिया जाता है और इसमें हिस्सा लेने वाले प्रतियोगी की आंख पर पट्टी बांधकर उसे हाथ में एक डंडा दिया जाता है। यदि उसने एक बार में मटकी को फोड़ दिया तो उसे विजेता घोषित किया जाता है। मंदिरों में जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन होता है खासकर कृष्ण मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। क्योंकि कृष्ण का जन्म आधी रात में हुआ था इसलिए आधी रात को मंदिरों और घरों में झूले पालखी सजाकर बाल गोपाल को झूला झुलाया जाता है। उनकी पूजा कर उन्हें माखन मिश्री, पंचामृत, पंजीरी आदि का भोग लगाया जाता है और यही प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
स्कूल में जन्माष्टमी कैसे मनाएं? (How To Celebrate Janmashtami In School?)
स्कूल में जन्माष्टमी मनाने के आसान तरीके हैं जिनसे बच्चों का मनोरंजन भी होता है और वे पर्व का महत्व भी समझते हैं।
- स्कूल में कृष्ण की झांकी सजाने की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता सकता है।
- छात्रों को श्री कृष्ण के बाल रूप के चित्र बनाने के लिए दिए जाने चाहिए, जो चित्र अच्छा होगा उसे नोटिस बोर्ड पर लगाया जाए।
- बच्चों के बीच जन्माष्टमी पर निबंध लिखने की प्रतियोगिता रखी जा सकती है।
- भगवान कृष्ण की जीवनी पर एक नाटक तैयार करके बच्चों को दिखाया जा सकता है।
- शिक्षक अपने छात्रों को जन्माष्टमी और कृष्ण की कहानियां सुना सकते हैं।
- भगवान कृष्ण के कुल 108 नाम हैं, जिनमें कान्हा, कन्हैया, गोविंद, गोपाल, घनश्याम, गिरधारी आदि मुख्य हैं।
- श्री कृष्ण ने अपने बचपन में ही 8 असुरों का वध कर दिया था।
- भारत के अलावा न्यूजीलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, फिजी, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में भी जन्माष्टमी धूम से मनाई जाती है।
- कृष्ण के बड़े भाई बलराम देवकी की सातवीं संतान थे जिन्होंने माता रोहिणी के गर्भ से जन्म लिया था।
- जन्माष्टमी का पर्व 2 दिनों तक मनाया जाता है।
1. साल 2024 में जन्माष्टमी किस दिन मनाई जाएगी?
साल 2024 में 26 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
2. श्री कृष्ण का जन्म कहाँ हुआ था?
श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था।
3. कंस मामा होकर भी श्री कृष्ण को क्यों मारना चाहता था?
कंस ने आकाशवाणी सुनी थी कि उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र उसका अंत करेगा और कृष्ण देवकी-वसुदेव की आठवीं संतान थे।
आपका बच्चा इस निबंध के माध्यम से अपने देश के अहम पर्व जन्माष्टमी और इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में जानेगा और जब त्यौहार आएगा तब वो बेहतर रूप से इसका अर्थ समझेगा कि हम जन्माष्टमी क्यों मनाते हैं और इसके पीछे का क्या महत्व है। इतना ही नहीं वह इस लेख की मदद से अपनी क्षमता के अनुसार एक अच्छा निबंध भी लिख सकेगा।
यह भी पढ़ें:
कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व व व्रत के लिए व्यंजन विधियां आपके नन्हे के लिए भगवान कृष्ण के रूप में पोशाक पहनाने के खास टिप्स
RELATED ARTICLES MORE FROM AUTHOR
रक्षाबंधन पर कविता (poems on raksha bandhan in hindi), स्वतंत्रता दिवस पर निबंध (essay on independence day in hindi), मुख्यमंत्री माझी लाड़की बहिन योजना (लाड़ली बहना योजना) – लाभ, योग्यता और कैसे आवेदन करें, अपने 6 से 8 साल के बच्चे से सेक्स के बारे में कैसे बात करें, रक्षाबंधन पर निबंध (essay on raksha bandhan in hindi), रक्षाबंधन विशेष: बच्चों के लिए खास पहनावे, popular posts, विक्रम बेताल की कहानी: सबसे बड़ा त्यागी कौन | story of vikram betal: whose sacrifice is biggest in hindi, विक्रम बेताल की कहानी: ब्राह्मण कुमार की कथा | story of vikram betal: brahmin kumar in hindi, विक्रम बेताल की कहानी: सबसे अधिक सुकुमार कौन | story of vikram betal: who is the most delicate in hindi, स्वतंत्रता दिवस 2023 की शुभकामनाएं देने के लिए कोट्स, विशेस, मैसेज, विक्रम बेताल की कहानी: सबसे बड़ा त्यागी कौन | story of..., विक्रम बेताल की कहानी: ब्राह्मण कुमार की कथा | story of..., विक्रम बेताल की कहानी: सबसे अधिक सुकुमार कौन | story of....
- Cookie & Privacy Policy
- Terms of Use
- हमारे बारे में
हिंदुस्तान पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद
शायद आप ऐड ब्लॉकर का इस्तेमाल कर रहे हैं। पढ़ना जारी रखने के लिए ऐड ब्लॉकर को बंद करके पेज रिफ्रेश करें।
ट्रेंडिंग न्यूज़
अगली खबर पढ़ने के लिए यहाँ टैप करें →
Independence Day Speech 2024 : स्वतंत्रता दिवस पर दें यह दमदार भाषण, भर देगा जोश
Independence day speech 2024 : स्वतंत्रता दिवस पर अकसर शिक्षकों द्वारा छात्रों को भाषण या निबंध तैयार करने के लिए कहा जाता है। यहां से आइडिया लेकर छात्र 15 अगस्त के लिए भाषण तैयार कर सकते हैं। .
Independence Day Speech 2024 : इस बार 15 अगस्त के दिन भारत अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। 15 अगस्त 1947 वह दिन है जब अंग्रेजों की लंबी गुलामी के बाद भारत के लोगों ने आजाद हवा में सांस ली थी। विविधताओं से भरे इस देश के तमाम धर्मों और जातियों के लोग एक होकर पूरे जोश व हर्षोल्लास के साथ हर साल आजादी की सालगिरह का उत्सव मनाते हैं। स्वतंत्रता दिवस का दिन उत्सव का ही नहीं बल्कि उन भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के सदियों के संघर्ष, बलिदान और दृढ़ संकल्प का भी प्रतीक है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अथक प्रयास किए। हर साल देश के प्रधानमंत्री 15 अगस्त के दिन लाल किले से देश को संबोधित करते हैं। इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार 11वीं बार लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करेंगे। स्वतंत्रता दिवस पर स्कूलों, सरकारी और निजी कार्यालयों में स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है और तिरंगा झंडा फहराया जाता है। स्वतंत्रता दिवस के नजदीक आने पर अकसर शिक्षकों द्वारा छात्रों को भाषण या निबंध ( 15 August speech ) तैयार करने के लिए कहा जाता है। ऐसे में आजकल स्कूलों के लाखों बच्चे 15 अगस्त पर भाषण की तैयारी में जुटे होंगे। यहां से आइडिया लेकर आप स्कूली छात्रों के लिए 15 अगस्त पर भाषण तैयार कर सकते हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर भाषण का उदाहरण ( Independence Day Speech )
आदरणीय प्राधानाचार्य ,शिक्षकगण, यहां उपस्थित सभी अतिथि महोदय और मेरे सभी प्यारे मित्रों... सबसे पहले मैं आप सबको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। आज हम यहां देश का 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के जुटे हैं। पूरा देश आजादी की सालगिरह के जश्न में डूबा है। इस वर्ष भारत सरकार ‘विकसित भारत’ थीम के तहत स्वतंत्रता दिवस मना रही है। इस थीम के जरिए भारत सरकार 2047 तक देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में फोकस कर रही है।
साथियों, 15 अगस्त का शुभ दिन भारत के रीजनीतिक इतिहास में सबसे ज्यादा अहमियत रखता है। 15 अगस्त ही वह दिन है जब देश को अंग्रेजों की 200 सालों की गुलामी की बेड़ियों से मुक्ति मिली थी। ब्रिटिश राज में देश की जनता पर काफी अत्याचार किए गए। ब्रिटिश हुकूमत के जुल्मों से देश की जनता को छुटकारा दिलाने के लिए सैंकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे में यह दिन उन महान क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद करने का भी है जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। देश को आजाद कराने में महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, मंगल पाण्डे, ,राजगुरु, सुखदेव, जवाहरलाल नेहरु, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक जैसे कई क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों का अहम योगदान रहा। यह दिन इन सभी क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करने और श्रद्धांजलि देने का दिन है।
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर सरल व छोटी कविताएं और गीत
वैसे तो आज के दिन देश का हर क्षेत्र राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे से भरा दिखता है लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य कार्यक्रम दिल्ली के लाल किले पर होता है। स्वतंत्रता दिवस पर देश के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से जनता का अभिवादन स्वीकार करते हैं और राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराते है। 31 तोपों की सलामी दी जाती है। इसके बाद वह देश को संबोधित करते हैं। प्रधानमंत्री के भाषण को सुनने के लिए सुबह से ही लाल किले पर लोग पहुंचना शुरू कर देते हैं। प्रधानमंत्री अपने भाषण में भावी योजनाओं के बारे में बताते हैं और देश की उपलब्धियों का भी जिक्र करते हैं। वह अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड भी देते हैं। कार्यक्रम में सेनाओं की टुकड़ियां प्रधानमंत्री को सलामी देती हैं। सेना के बैंडों की धुन सुनने लायक होती है और मन को मोह लेती है।
साथियों! 15 अगस्त हर साल आता है और हमारे दिलोदिमाग में 'हम स्वतंत्र हैं और स्वतंत्र रहेंगे' का भाव जागृत कर चला जता है। यह सबसे बड़ा राष्ट्रीय पर्व राष्ट्र और राष्ट्रीयता की हलचल पैदा कर जाता है। वर्ष में राष्ट्र ने क्या खोया और क्या पाया का हिसाब बता जाता है। भारत माता और भारत की स्वतंत्र सत्ता के लिए कर्तव्य का भाव जगा जाता है।
आइए हम राष्ट्र ध्वज को नमन करें। राष्ट्र के कल्याण के प्रति अपने संकल्प को दोहराएं। देश के विकास व सुरक्षा और देशवासियों के कल्याण के प्रति हमेशा समर्पित रहने की प्रतिज्ञा लें।
अब मैं अपने भाषण का समापन करना चाहूंगा। एक बार फिर से आप सभी को हैप्पी इंडिपेंडेंस डे। इस मौके पर चंद पंक्तियां कहना चाहूंगा - उन्नति पथ पर चक्र अनवरत, चलता हुआ न ठहरे | फर-फर करता शुभ्र गगन में, सदा तिरंगा लहरे || जय हिन्द ! जय भारत !
हिन्दुस्तान एजुकेशन
इंजीनियरिंग के टॉप कॉलेज
मेडिकल के टॉप कॉलेज
लॉ के टॉप कॉलेज
उत्तर प्रदेश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज
एजुकेशन लोन
RBSE 12th Result 2024 , आरबीएसई12वीं साइंस रिजल्ट , आरबीएसई 12वीं कॉमर्स रिजल्ट , आरबीएसई 12वीं आर्ट्स रिजल्ट लेटेस्ट Hindi News पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।
- MPESB : मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल ने निकाली 283 पदों पर भर्ती, 12 सितंबर से शुरू होगी परीक्षा
- MMMUT का टॉपर तय करने में समिति को भी छूट गया पसीना, बीटेक सिविल इंजीनियरिंग की दो छात्राओं को मिला था 9.13 सीजीपीए
- DU Admissions 2024: आवेदन प्रक्रिया के बाद डीयू नौ को रैंक जारी करेगा, यह है टाई ब्रेकिंग रूल
- UPTAC : CUET स्कोर से BTech, BFA समेत कई कोर्सेज के लिए रजिस्ट्रेशन 12 अगस्त तक
- रोजगार मेला आज, 9000 से लेकर 52000 प्रति माह सैलरी तक की नौकरी पाने का मौका
- JSSC Calendar : जेएसएससी भर्ती परीक्षाओं का नया कैलेंडर जारी, जानें कब होगा CGL व इंटर लेवल एग्जाम
- यूपी बोर्ड 12वीं पास छात्रों के लिए सालाना 80 हजार रुपये पाने का मौका, चाहिए इतने अंक
- CSBC Bihar Police Constable Exam : EOU की निगरानी में बिहार पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा आज से, पढ़ें गाइडलाइंस
- Bihar Police Exam : बिहार पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा आज से, ढाई घंटा पहले पहुंचें, कब तक मिलेगी एंट्री, क्या लाना अनिवार्य, जानें 10 नियम
- Photogallery
- 15 अगस्त पर भाषण
- Career Expert Advice
- Best Independence Day Speech In Hindi For School Students On 15 August 2024
Independence Day Speech 2024: स्वतंत्रता दिवस पर 2 मिनट का ये भाषण रगों में भर देगा जोश, तालियां रुक नहीं पाएंगी
2 minute speech on independence day 2024, 15th august: इस साल यानी 2024 में भारत अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस बना रहा है। 15 अगस्त को हर स्कूल में कार्यक्रम होते हैं, बच्चों के लिए भाषण प्रतियोगिताएं होती हैं। आपकी मदद के लिए हम लेकर आए हैं- 15 अगस्त पर बेस्ट स्पीच। इंडिपेंडेंस डे पर ये स्पीच सुनने वालों को आपका मुरीद बना देगा।.
IMAGES
VIDEO
COMMENTS
जनसँख्या पर निबंध (Population Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / January 30, 2018. जनसंख्या एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले जीवों की कुल संख्या को दर्शाती है। हमारे ...
जनसँख्या विस्फोट निबंध 400 शब्द. Jansankhya Visfot Par Nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) पर 400 शब्दों में निबंध इस प्रकार है : किसी भी चीज़ का विस्फोट होना तब कहा जाता ...
students realised their study abroad dream with us. Take the first step today. Talk to an expert for FREE Enter for latest updates from top global universities +91 Enter to receive a call back from our experts Continue ... E Essays in Hindi. Essay on Social Issues : सामाजिक मुद्दों पर छात्र ऐसे ...
आज hindiamrit.com आपको निबंध की श्रृंखला में जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | essay on population problem in hindi प्रस्तुत करता है।
जनसंख्या पर निबंध, स्कूल के लिए सबसे अच्छा निबंध (Essay on Population in Hindi) by Meghna April 15, 2024 April 17, 2024 जनसँख्या किसी भी देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है.
जनसँख्या विस्फोट पर निबंध (essay on population explosion in hindi ) वर्तमान समय में विश्व की जनसँख्या लगभग 770 करोड़ (2020) है जो लगातार बढ़ती जा रही है। और यदि बढ़ती जनसँख्या के ...
Hindi Essay/Paragraph/Speech on "Jansankhya ki Samasya", "जनसंख्या की समस्या" Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes. ... The main objective of this website is to provide quality study material to all students (from 1st to 12th class of any board) irrespective of ...
बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम. 1. प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव. अधिक आबादी मतलब, प्राकृतिक संसाधनों की अधिकतम दोहन। अगर ज्यादा लोग ...
Jansankhya aur Paryavaran "जनसंख्या और पर्यावरण" Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 12 Students. About. Vision; ... The main objective of this website is to provide quality study material to all students (from 1st to 12th class of any board) irrespective of their background as our ...
We will tell you everything about Population in Hindi. What is the solution of Jansankhya Vridhi? We added some slogan on Population in Hindi which will help you get good score in exam. Essay on Population in Hindi is one of the most frequently asked questions in school and colleges. Read long essay on Population in Hindi in 200, 500 and 1000 words
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line तथा Business Today आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस आलेख में जनसंख्या वृद्धि तथा इससे संबंधित विभिन्न मुद्दों की ...
Hindi Essay on "Badhti Jansankhya", "बढ़ती जनसंख्या", Hindi Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.
Hindi Essay on "Jansankhya ki Samasya aur Samadhan", "जनसंख्या की समस्या और समाधान", for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations. ... Punjabi Essay for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations. Ravneet on Punjabi Essay on "Pani di Mahata te ...
Hindi Essay on "Jansankhya, Samasya aur Shiksha " , "जनसंख्या, समस्या और शिक्षा" Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other class ... 12 Students. Download Our Educational Android Apps. Latest Desk. The Life of a Soldier, Complete English Essay, Paragraph, Speech for ...
जनसँख्या पर निबंध । Essay on Population in Hindi, Jansankhya par nibandh Hindi mein, Population Essay in Hindi in 250, 300 words for school and college stude...
जनसँख्या पर निबंध | Jansankhya par nibandh Hindi mein | Essay on Population in Hindiजनसँख्या पर निबंध Jansankhya par nibandh Hindi mein ...
Read this article in Hindi to learn about:- 1. जनसंख्या का परिचय (Introduction to Population) 2. जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण (Population Growth and Its Distribution) 3. क्रम पर प्रभाव (Impact on Ecosystem) 4. भारतीय परिदृश्य (Indian Scenario). जनसंख्या ...
Jansankhya Visfot par Nibandh Hindi mein. ... (My School Essay in Hindi) शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi) बाघ पर निबंध (Tiger Essay in Hindi) Leave a Comment. Your email address will not be published.
Best 5 Hindi Essay on "Badhti Jansankhya" ... The main objective of this website is to provide quality study material to all students (from 1st to 12th class of any board) irrespective of their background as our motto is "Education for Everyone". It is also a very good platform for teachers who want to share their valuable knowledge.
जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | essay on population problem in hind
जन्माष्टमी पर 5 लाइन का निबंध (5 Lines On Janmashtami in Hindi) जन्माष्टमी जैसे पावन पर्व के बारे में 5 लाइन का निबंध पढ़ें, जिसे आप अपने बच्चे को तैयार करा सकते हैं।
Independence Day Speech 2024 : स्वतंत्रता दिवस पर अकसर शिक्षकों द्वारा छात्रों को भाषण या निबंध तैयार करने के लिए कहा जाता है। यहां से आइडिया लेकर छात्र 15 अगस्त के लिए ...
Best Independence Day Speech In Hindi For School Students On 15 August 2024 Independence Day Speech 2024: स्वतंत्रता दिवस पर 2 मिनट का ये भाषण रगों में भर देगा जोश, तालियां रुक नहीं पाएंगी